03 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Business Desk: देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi) लंबे समय से आर्थिक संकट में फंसी हुई है। लगातार बढ़ते कर्ज़ और घटती आय के बीच अब कंपनी के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। लेकिन ताज़ा रिपोर्ट्स के अनुसार, वोडाफोन आइडिया को एक बड़ी राहत मिल सकती है। अमेरिका की निवेश कंपनी टिलमैन ग्लोबल होल्डिंग्स (TGH) इस संकटग्रस्त टेलीकॉम कंपनी में भारी निवेश करने पर विचार कर रही है। बताया जा रहा है कि यह निवेश करीब 6 अरब डॉलर (लगभग 53,000 करोड़ रुपये) का हो सकता है।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, TGH सिर्फ निवेश ही नहीं बल्कि वोडाफोन आइडिया में नियंत्रण हिस्सेदारी (majority stake) हासिल करने की भी योजना बना रही है। यानी अगर यह सौदा फाइनल हुआ, तो कंपनी का नियंत्रण मौजूदा प्रमोटर्स — आदित्य बिड़ला ग्रुप और यूके की वोडाफोन पीएलसी — से निकलकर अमेरिकी निवेशक TGH के पास चला जाएगा।
सरकार के राहत पैकेज पर टिकी डील
यह सौदा तभी संभव है जब भारत सरकार वोडाफोन आइडिया को वित्तीय राहत देगी। कंपनी पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) और स्पेक्ट्रम भुगतान से जुड़ी भारी देनदारियां हैं। TGH चाहती है कि सरकार इन बकायों के समाधान या पुनर्गठन के लिए एक स्पष्ट नीति बनाए। यानी निवेश का फैसला सरकार की राहत नीति पर निर्भर करेगा।
क्या सरकार की हिस्सेदारी घटेगी?
इस समय भारत सरकार वोडाफोन आइडिया की सबसे बड़ी शेयरधारक (लगभग 49%) है। यह हिस्सेदारी कंपनी के बकायों को इक्विटी में बदलने के बाद आई थी। अगर नया निवेश सौदा पूरा हो गया, तो सरकार की हिस्सेदारी घट सकती है और उसका कंपनी पर नियंत्रण लगभग खत्म हो जाएगा। वह केवल एक निष्क्रिय निवेशक के रूप में रह सकती है।
बकाया माफी नहीं, पुनर्गठन की मांग
TGH ने अपने प्रस्ताव में बकाया रकम को पूरी तरह माफ करने की मांग नहीं की है, बल्कि उसे री-स्ट्रक्चर (पुनर्गठित) करने का सुझाव दिया है। इसका उद्देश्य कंपनी को वित्तीय स्थिरता देना और नेटवर्क सुधार व सेवाओं के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करने का मौका देना है।
कौन है TGH?
टिलमैन ग्लोबल होल्डिंग्स (TGH) एक अमेरिकी निवेश फर्म है, जिसके चेयरमैन और सीईओ संजय आहूजा हैं। उन्हें फ्रांस की टेलीकॉम कंपनी ऑरेंज (Orange) को 2003 से 2007 के बीच संकट से उबारने का श्रेय दिया जाता है। TGH पहले से ही दुनिया के कई देशों में टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल टेक्नोलॉजी और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश कर चुकी है।
अगर यह सौदा सफल होता है, तो यह वोडाफोन आइडिया के लिए एक ‘टर्निंग पॉइंट’ साबित हो सकता है — जो कंपनी को कर्ज़ के दलदल से निकालकर दोबारा प्रतिस्पर्धा में ला सकता है।













