पुलिस में महिलाओं को पुलिस उत्तराखंड समाचार में महिलाओं की 33% भागीदारी प्राप्त करने में 31 साल लगेंगे – अमर उजला हिंदी समाचार लाइव

महिला अफसर केवल 4.4 फीसदी ही

उत्तराखंड में 98 फीसदी से अधिक थाने ऐसे हैं जहां पर महिला हेल्प डेस्क बनाई गई हैं। हर थाने में महिलाओं की तैनाती यहां पर औसतन 13 कर्मचारी और अधिकारी की है। उत्तराखंड के जेल स्टाफ की बात करें तो यहां पर केवल तीन फीसदी महिलाओं की हिस्सेदारी है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां की स्थिति इस मामले में उत्तराखंड से खराब है। उत्तर प्रदेश में कुल स्टाफ में 10 फीसदी महिलाएं हैं। जबकि, वहां पर महिला अफसर केवल 4.4 फीसदी ही हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में यह मुकाम हासिल करने में 40 साल से भी ज्यादा का समय लगेगा। जबकि, इस रिपोर्ट में अन्य मानदंड मसल न्याय पालिका, न्यायिक सहायता आदि में महिलाओं की भागीदारी में सुधार हुआ है। उत्तराखंड की ही बात करें तो इस रिपोर्ट में स्थानीय कोर्ट में महिलाओं की हिस्सेदारी 33 फीसदी से ज्यादा है। यहां के स्थानीय कोर्ट में महिला जजों की संख्या 40 फीसदी है। जबकि, पैनल अधिवक्ता 32 फीसदी से ज्यादा हैं। प्राइवेट लीगल वॉलंटियर 53 फीसदी और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों में 30.8 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।

कुल रैंकिंग दो पायदान खिसकी

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में उत्तराखंड की कुल रैंकिंग वर्ष 2022 की तुलना में दो पायदान गिरी है। वर्ष 2022 की रिपोर्ट में उत्तराखंड की रैंकिग 14 थी। जबकि, इस वर्ष यह 16 हो गई है। बड़े और मध्यम 18 राज्यों में केवल दो ही प्रदेश उत्तराखंड से नीचे हैं। इस वर्ष पुलिस, जेल, न्याय पालिका, लीगल ऐड, मानव संसाधन, विविधता आदि मानदंडों में उत्तराखंड को 10 में से केवल 4.4 अंक मिले हैं। अन्य रैंकिंग की बात करें तो पुलिस की रैंकिंग 06, जेल की 18, न्याय पालिका की 16, न्यायिक सहायता 04, मानव संसाधन 14, विविधता 07 है।

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जेल की रैंकिंग में नहीं आया कोई सुधार

उत्तराखंड की जेल देश में सबसे अधिक भीड़ वाली जेल है। यहां पर क्षमता से डेढ़ गुना से भी अधिक कैदियों को रखा गया है। वर्ष 2022 की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में उत्तराखंड को 18वीं रैंक मिली थी। जबकि, जेल के मामले में इस बार भी रैंक में कोई सुधार नहीं आया है।