25 जून 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
Chandigarh Desk: चंडीगढ़ नगर निगम (Chandigarh Municipal Corporation) की स्थापना पंजाब नगर निगम अधिनियम, 1976 के अंतर्गत की गई थी, जिसे चंडीगढ़ के लिए विशेष रूप से लागू किया गया है। इस अधिनियम के तहत, चंडीगढ़ के प्रशासक को नगर निगम के संचालन संबंधी नियमों, जैसे कि चंडीगढ़ नगर निगम (प्रक्रिया और व्यवसाय संचालन) विनियम, 1996 में संशोधन करने का सीमित अधिकार प्राप्त है। यह अधिकार केवल उन्हीं मामलों में लागू होता है जो केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों और कानूनी ढांचे के अनुरूप हों। उदाहरण के तौर पर, हाल ही में प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने मेयर चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव करते हुए गुप्त मतदान की जगह हाथ उठाकर मतदान की मंजूरी दी थी। यह संशोधन अधिनियम में नहीं बल्कि आंतरिक नियमों में किया गया था।
हालांकि, नगर निगम अधिनियम की धाराओं में कोई भी बड़ा संशोधन या परिवर्तन करने का अधिकार केवल संसद या केंद्र सरकार के पास है। प्रशासक केवल प्रशासनिक या कार्यकारी स्तर पर सीमित दायरे में नियमों को लागू करने या उनमें मामूली बदलाव करने के लिए अधिकृत हैं। प्रशासक की शक्तियाँ पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन होती हैं और वे संविधान या अधिनियम में किसी भी प्रकार का स्वतंत्र संशोधन नहीं कर सकते। इनके निर्णय उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय की न्यायिक समीक्षा के अधीन होते हैं। 2024 में अनिल मसीह से जुड़े मेयर चुनाव विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासक के निर्णय को गलत करार देते हुए उसे पलट दिया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि प्रशासक के निर्णयों पर कानूनी नियंत्रण है।
प्रशासक को नगर निगम के दैनिक संचालन पर निगरानी और सीमित नियंत्रण का अधिकार अवश्य है, लेकिन यह अधिकार नगर निगम के स्वायत्त ढांचे के भीतर ही सीमित होता है। हाल ही में मेयर चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया में किया गया बदलाव इस बात का उदाहरण है कि प्रशासक ने चंडीगढ़ नगर निगम (प्रक्रिया और व्यवसाय संचालन) विनियम, 1996 के नियम 6 में संशोधन करते हुए यह निर्णय लिया, जो उनके अधिकार क्षेत्र में आता है। इसका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और पार्षदों की खरीद-फरोख्त जैसी आशंकाओं को समाप्त करना था।