15 मई, 2025 Fact Recorder
सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य विधानसभाओं से आए विधेयकों पर राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए समय-सीमा तय किए जाने के बाद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनुच्छेद 143(1) के तहत सर्वोच्च न्यायालय से राय मांगी है। उन्होंने पूछा है कि क्या राष्ट्रपति और राज्यपालों की ऐसी कार्यवाहियों की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है, और क्या संविधान में स्पष्ट प्रावधान न होने के बावजूद उन पर समय-सीमा लागू की जा सकती है?
इस साल अप्रैल में, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए राज्यपालों को विधेयकों पर कार्रवाई के लिए समय-सीमा तय की थी। साथ ही, यह भी कहा गया था कि जो विधेयक राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजे जाते हैं, उन पर राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर निर्णय लेना चाहिए।
हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 201 के अंतर्गत राष्ट्रपति के निर्णय के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है। ऐसे में राष्ट्रपति मुर्मू ने अदालत से स्पष्टता मांगी है कि क्या अदालत इस तरह की समय-सीमा तय कर सकती है, जबकि संविधान में इसका कोई उल्लेख नहीं है।