हर्षिल क्षेत्र में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र में विभिन्न संगठनों की ओर से प्रयास किया जा रहा है। संगठन वन विभाग के सहयोग से पहली बार घाटी में बर्ड वाचिंग, लैंडस्केप आदि जानकारियों के लिए अप्रैल में छह दिवसीय नेचर फेस्टिवल का आयोजन करेंगे।
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हर्षिल क्षेत्र में तितली ट्रस्ट और टकनौर पर्वतीय संरक्षण सोसायटी की ओर से स्थानीय लोगों, व्यापारियों, होटल व्यवसायियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई। डीएफओ डीपी बलूनी ने स्थानीय लोगों के साथ क्षेत्र में ईको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए संवाद किया। इस मौके पर ट्रस्ट के लोगों ने बताया कि हर्षिल घाटी में उनकी ओर से दुर्लभ वन्य जीवों के साथ पक्षियों और तितलियों, जड़ी-बूटियों, पेड़-पौधों की जानकारी एकत्रित की गई।
यह विश्व में जैव विविधता के लिए सुंदर और सकारात्मक स्थानों में से एक है। पर्यावरण संरक्षण के साथ जुड़कर जैव विविधता के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। वहीं युवाओं के रोजगार के लिए सशक्त माध्यम बन सकता है। तितली ट्रस्ट के पक्षी विशेषज्ञ केशर सिंह ने बताया कि हर्षिल में पहली बार अप्रैल में वन विभाग के सहयोग से नेचर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देश-विदेश के कई विशेषज्ञ जुड़ेंगे, जो कि यहां की जैव विविधताओं पर शोध आदि प्रस्तुत कर ईको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्य करेंगे।
केशर सिंह ने बताया कि इस दौरान चार दिनों तक क्षेत्र के 10 युवाओं को बर्ड वाचिंग का प्रशिक्षण भी दिया गया। इसमें ब्रहमीताल में मोनाल सहित 55 दुर्लभ पक्षियों का अवलोकन किया गया। इस मौके पर रेंज अधिकारी यशवंंत चौहान, आंचल सौंधी, सुनिति भूषण दत्ता, आलोक नेगी आदि मौजूद रहे।