- कोई समाचार नहीं
- Jeevan mantra
- Dharm
- 27 अप्रैल को अमावस्या, हिंदी में सतुवाई अमावस्या, सतुवाई अमावस्या पर नदी में स्नान करने की परंपरा है।
27 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
रविवार, 27 अप्रैल को वैशाख मास की अमावस्या है। इसका नाम है सतुवाई अमावस्या। इस पर्व पर सत्तु दान और पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। जो लोग नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं, वे घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं, ऐसा करने से घर पर नदी स्नान के समान पुण्य मिल सकता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, वैशाख माह की अमावस्या पर पूजा-पाठ करने के साथ ही पानी का दान करने का विशेष महत्व है, क्योंकि अभी गर्मी का समय है और गर्मी के दिनों में पानी पिलाने का काम अक्षय पुण्य देता है। इस अमावस्या पर किसी सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ लगवा सकते हैं। अगर ये संभव न हो तो किसी प्याऊ में मटके का दान करें और पानी की व्यवस्था करवाएं। अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी भी रखें।
जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
- रविवार को सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। सूर्य के लिए गुड़ का दान करें। किसी मंदिर में पूजा-पाठ में काम आने वाले तांबे के बर्तन दान कर सकते हैं।
- इन दिनों में गर्मी काफी अधिक रहती है। इसलिए जरूरतमंद लोगों को खाना और पानी दान करें। सार्वजनिक जगहों पर पेड़-पौधों को पानी दें।
- किसी शिव मंदिर में शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। वैशाख माह में शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाने का महत्व काफी अधिक है। इन दिनों में शिवलिंग पर मिट्टी के कलश से जल की धारा गिराई जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से शिव जी को शीतलता मिलती है और वे अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। शिव जी की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और बाधाएं दूर होती हैं।
- अमावस्या पर घर के पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए। इस तिथि के स्वामी पितर देव ही माने जाते हैं, इसलिए अमावस्या पर पितरों के नाम से दान भी करना चाहिए। इस दिन धूप-ध्यान करने के लिए दोपहर करीब 12 बजे गोबर के कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़ और घी से अर्पित करें। पितरों का ध्यान करें। हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को चढ़ाएं।
- अमावस्या पर हनुमान जी का चोला चढ़वाएं। ये संभव न हो तो हनुमान मंदिर में सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें। भगवान के सामने दीपक जलाएं। सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ करें, राम नाम का जप करें। आप चाहें तो ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
- सतुवाई अमावस्या से बाद तीसरे दिन अक्षय तृतीया (30 अप्रैल) है। इस दिन भगवान परशुराम का प्रकट उत्सव मनाया जाता है। ये दिन अबुझ मुहूर्त माना जाता है यानी अक्षय तृतीया पर बिना मुहूर्त देखे विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। अक्षय तृतीया पर भी पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य खासतौर पर करना चाहिए।
