गलवां के पांच साल बाद चीन पहुंचे राजनाथ: ‘निर्दोषों का खून बहाने वालों को नहीं बख्शेंगे’

26 जून 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

International Desk: एससीओ बैठक में भारत का स्पष्ट संदेश: आतंकवाद पर दोहरे मापदंड बर्दाश्त नहीं, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का किया जिक्र

चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन शुरू हो गया है, जिसमें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा पर भारत की सख्त नीति को दोहराया। यह चीन में किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की पांच साल में पहली यात्रा है, जो गलवां घाटी में 2020 की झड़प के बाद द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बीच हो रही है।

राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में एससीओ देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया और बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ देश आतंकवाद को नीति का हिस्सा बनाकर आतंकियों को शरण देते हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।”

रक्षा मंत्री ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख किया, जिसमें एक नेपाली नागरिक समेत 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी संगठन है। उन्होंने बताया कि भारत ने इस हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर सीमा पार स्थित आतंकी ढांचे को सफलतापूर्वक ध्वस्त किया।

राजनाथ सिंह ने कहा, “आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं हो सकता। चाहे वह कहीं भी, किसी के द्वारा और किसी भी मकसद से किया गया हो, यह एक आपराधिक और अस्वीकार्य कृत्य है। एससीओ देशों को ऐसे अपराधियों, समर्थकों और वित्तपोषकों को जवाबदेह ठहराना चाहिए।”

अपने भाषण में राजनाथ ने अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता को लेकर भारत की प्रतिबद्धता भी दोहराई और बताया कि भारत, अफगानिस्तान के सबसे बड़े क्षेत्रीय विकास साझेदार के रूप में, वहां क्षमता निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

राजनाथ सिंह ने वैश्विक चुनौतियों जैसे महामारी, जलवायु परिवर्तन, जल और खाद्य सुरक्षा पर भी चिंता जताई और कहा कि इन संकटों से निपटने के लिए राष्ट्रों के बीच सहयोग और जिम्मेदार नीतियों की आवश्यकता है। उन्होंने भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ दृष्टिकोण और ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के सिद्धांत को साझा करते हुए कहा कि “आपसी समझ और साझा हित ही हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिए।”

उन्होंने एससीओ मंच पर विश्वास, सहयोग और शांति की भावना को आगे बढ़ाने की अपील करते हुए कहा कि भारत बहुपक्षीय संवाद और सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करने के पक्ष में है।