रेबीज़ घातक बीमारी है, जागरूकता से किया जा सकता है बचाव : सिविल सर्जन डॉ. रोहित गोयल

सिविल सर्जन डॉ. रोहित गोयल के निर्देशानुसार, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. रिंकू चावला की अध्यक्षता और सहायक सिविल सर्जन डॉ. अर्पित गुप्ता

अपने पालतू जानवरों को हर साल रेबीज़ से बचाव का टीका अवश्य लगवाएँ
स्वास्थ्य विभाग फाज़िल्का द्वारा विश्व रेबीज़ दिवस संबंधी सरकारी हाई स्मार्ट स्कूल पक्का चिस्ती में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

फाज़िल्का, 01 अक्टूबर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Health Desk:  सिविल सर्जन डॉ. रोहित गोयल के निर्देशानुसार, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. रिंकू चावला की अध्यक्षता और सहायक सिविल सर्जन डॉ. अर्पित गुप्ता की देखरेख में “अब कार्यवाही करें: आप, मैं, समाज” थीम के अंतर्गत विश्व रेबीज़ दिवस संबंधी जागरूकता कार्यक्रम सरकारी हाई स्मार्ट स्कूल पक्का चिस्ती में आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. सुनीता कंबोज, मास मीडिया विंग से विनोद खुराना, मनबीर सिंह, दिवेश कुमार और हेल्थ वर्कर संजीव कुमार उपस्थित थे।

इस मौके पर जानकारी देते हुए डॉ. रिंकू चावला ने बताया कि हमारे देश में हर साल हज़ारों लोगों की मौतें रेबीज़ बीमारी के कारण हो जाती हैं। यदि लोग इस बीमारी के प्रति जागरूक हों तो इन मौतों को रोका जा सकता है। रेबीज़ (हलका़) मनुष्य को पागल कुत्ते, खरगोश, बिल्ली, नेवले, गीदड़ और अन्य जानवरों के काटने से हो सकती है।

डॉ. सुनीता कंबोज ने कहा कि जानवरों के काटने/खरोंच/जख्म को नज़रअंदाज़ न करें। जख्म पर मिर्च, सरसों का तेल या ऐसे अन्य पदार्थ न लगाएँ। जख्म पर टांके न लगाएँ और न ही पट्टी करें। घर में या नीम-हकीम से इलाज न कराएँ, बल्कि विशेषज्ञ डॉक्टर से ही इलाज कराएँ। बच्चों को आवारा कुत्तों से दूर रहने के लिए प्रेरित करें और अंधविश्वासों से बचें। कुत्ते आपके मित्र हो सकते हैं, लेकिन गुस्सा आने पर वे काट भी सकते हैं, इसलिए सावधानी बरतें। यदि कुत्ता काट ले तो जख्म को तुरंत बहते पानी और साबुन से धोएं, उपलब्ध डिसइन्फेक्टेंट लगाएँ और तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर विशेषज्ञ डॉक्टर से उपचार कराएँ। साथ ही, सीरम और एंटी-रेबीज़ वैक्सीन के टीके अवश्य लगवाएँ।

विनोद खुराना और दिवेश कुमार ने कहा कि पालतू कुत्तों और बिल्लियों को प्यार से रखें, उन्हें कभी परेशान न करें। अपने पालतू जानवरों को 3 माह की उम्र से रेबीज़ का टीका लगवाना शुरू करें और हर साल नियमित रूप से यह टीकाकरण कराएँ।

इस अवसर पर स्कूल के प्रिंसिपल, अध्यापक और विद्यार्थी भी उपस्थित थे।