16 मई, 2025 Fact Recorder
पंजाब-हरियाणा जल विवाद फिर गरमाया, बीबीएमबी बैठक में हरियाणा की पानी की मांग पर पंजाब ने किया इनकार
हरियाणा और पंजाब के बीच पानी को लेकर पुराना विवाद एक बार फिर उभर आया है। वीरवार को चंडीगढ़ में हुई भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) की तकनीकी कमेटी की बैठक में हरियाणा ने 725 क्यूसेक अतिरिक्त पानी समेत कुल 10,300 क्यूसेक पानी की मांग की, जिसे पंजाब ने सख्ती से ठुकरा दिया। इस पर दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच तीखी बहस हुई।
बैठक में स्थिति गर्माने पर बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने हस्तक्षेप करते हुए एक समाधान समिति बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में बोर्ड के नियमों का पालन किया जाएगा।
20 मई तक हरियाणा को नहीं मिलेगा अतिरिक्त पानी
बैठक के बाद यह तय हुआ कि 20 मई तक हरियाणा को अतिरिक्त पानी नहीं दिया जाएगा, क्योंकि पानी वितरण से जुड़ा मामला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में लंबित है, जिसकी अगली सुनवाई 20 मई को होनी है। 21 मई से अगले साल के लिए हरियाणा को तय मात्रा में पानी मिलने लगेगा।
बैठक में पंजाब की ओर से सचिव कृष्ण कुमार और चीफ इंजीनियर शेर सिंह, जबकि हरियाणा से सिंचाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग अग्रवाल सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
पंजाब की आपत्ति: धान की बिजाई और मरम्मत बनी बाधा
पंजाब सरकार के जल स्रोत मंत्री बरिंदर गोयल ने कहा कि हरियाणा की मांग मौजूदा हालात में पूरी नहीं की जा सकती।
उन्होंने बताया कि भाखड़ा मेन लाइन (BML) नहर की अधिकतम क्षमता 11,700 क्यूसेक है, जबकि राज्य को 21 से 31 मई के बीच 3,000 क्यूसेक पानी केवल पीने की जरूरतों के लिए चाहिए। साथ ही नहर की मरम्मत और रखरखाव का कार्य भी चल रहा है, जिससे पानी छोड़ने की क्षमता सीमित हो गई है।
गोयल ने बताया कि पंजाब में 16 मई से धान की सीधी बिजाई शुरू हो चुकी है, और 1 जून से पारंपरिक तरीके से बिजाई शुरू होगी, जिसके लिए 22,000 क्यूसेक पानी की मांग की गई है। जैसे-जैसे बिजाई बढ़ेगी, मांग भी बढ़ेगी, जो पिछले साल 40,000 क्यूसेक तक पहुंची थी।
श्रुति चौधरी का आरोप: पंजाब कर रहा है राजनीतिक बदला
हरियाणा की जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने पंजाब पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पंजाब हरियाणा की पानी की जरूरत को नजरअंदाज कर रहा है, जबकि हरियाणा से दिल्ली के लोगों को भी पानी दिया जाता है।
उन्होंने कहा, “जब तक दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी, पंजाब को पानी देने में कोई दिक्कत नहीं थी। अब जबकि आप दिल्ली से हार चुकी है, तो पंजाब सरकार राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रही है और दिल्ली को पानी नहीं देकर लोगों को सजा दे रही है।”
निष्कर्ष
पानी का यह विवाद फिर से राजनीतिक और प्रशासनिक टकराव में बदलता नजर आ रहा है। अब सभी की नजरें 20 मई को कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां से आगे की दिशा तय हो सकती है।