भाजप नेता अनिल सरीन प्रेस कांफ्रेंस करते हुए।
10/04/2025 Fact Recorder
पंजाब सरकार ने स्कूलों में विद्यार्थियों को सभी सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से “शिक्षा क्रांति” नाम से एक मुहिम शुरू की है। हालांकि, इस मुहिम को लेकर विपक्षी दल सरकार पर निशाना साध रहे हैं। बीजेपी नेता अनिल सरीन ने इस मुद्दे पर आज एक प्रेस कॉन्फ उन्होंने एक फोटो दिखाते हुए सवाल किया, “यह कौन सी क्रांति है?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा स्कूलों की सुविधाएं सुधारने के लिए भेजा गया पैसा सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “स्कूलों को अपग्रेड करने के लिए केंद्र से पैसा आ रहा है, लेकिन राज्य सरकार ने स्कूलों की हालत खराब कर दी है।” वहीं, अब एक पत्र स्कूलों को जारी किया है, जिसमें कहा है 2022 में के बाद जो भी काम स्कूलों में हुए हुए है। उनके शुभारंभ मंत्री व विधायकों से करवाने को कहा है।
“बेशर्मी की भी हद होती है”शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें उन्होंने बरनाला के शहीद सिपाही दलीप सिंह सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, घुनस के बाथरूम की मरम्मत से जुड़ी नींव पत्थर की फोटो साझा की। उन्होंने लिखा, “बेशर्मी की भी हद होती है।” इसी स्कूल से जुड़ी एक और फोटो शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने शेयर की। उन्होंने लिखा, बाथरूमों की मरम्मत क्या शिक्षा क्रांति है। पंजाबी भी आने वाले समय में इस शिक्षा क्रांति को याद करेंगे।
“नींव पत्थर की क्रांति” कांग्रेस नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर मुख्यमंत्री द्वारा स्कूलों में किए गए कार्यों के शुभारंभ की दो तस्वीरें साझा कीं। उन्होंने लिखा, “बाथरूम और चारदीवारी की मरम्मत जैसे सामान्य कार्यों को ‘शिक्षा क्रांति’ के रूप में पेश किया जा रहा है। साधारण मरम्मत के कामों को 341 नए स्कूलों के निर्माण के रूप में प्रचारित करना, दिल्ली के खोखले शिक्षा मॉडल का हिस्सा है।” उन्होंने इसे “नींव पत्थर क्रांति” करार दिया।
केजरीवाल व सिसोदिया को मिस्त्री कहा शिरोमणि अकाली दल के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर भी एक फोटो साझा की गई। इसमें लिखा गया, “सीएम भगवंत मान ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को मिस्त्री समझ रखा है। कहते थे कि नींव पत्थरों पर राज मिस्त्री और मजदूरों के नाम लिखे जाएंगे, लेकिन अब देखिए, नाम किसके लिखे जा रहे हैं।”
