Jalandhar Shri Devi Talab mandir Shakti Peeth Maa Tripurmalini Fair today update | Jalandhar | Shri Devi Talab mandir | Shakti Peeth Maa Tripurmalini | Punjab | पंजाब के इकलौते शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी का मेला आज: सुबह 3.30 बजे से लगी लंबी लाइनें, दूर-दूर से झंडा चढ़ाने दरबार पहुंच रहे श्रद्धालु – Jalandhar News

मेले वाले दिन मां त्रिपुरमालिनी को नए वस्त्र पहनाए गए और साथी मंदिर की भव्य सजावट की गई।

देश के 51 शक्तिपीठों से एक मां त्रिपुरमालिनी (श्री देवी तालाब मंदिर) का सालाना मेला आज यानी 11 अप्रैल (शुक्रवार) को मनाया जा रहा है। मेले की विधिवत घोषणा वीरवार देर शाम मंदिर कमेटी की तरफ से सरी रसमें पूरी कर दी गईं थी। संकीर्तन मंडलियों ने मां के भज

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आज सुबह मंदिर 3.30 बजे खोल दिया गया था। मंदिर खुलने से पहले लंबी लंबी लाइनें लगी हुईं थी और भक्त हाथों में झंडा लेकर मां के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे थे। इस बार मंदिर में काफी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, कोई लाइन न तोड़े इसलिए, बड़े बड़े बैरिकेड लगाकर रास्ता बनाया गया, जिससे लाइन में आ रहे भक्तों को कोई परेशानी न हो। साथ ही पुलिस द्वारा भी मंदिर की सुरक्षा को लेकर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। महारानी मां श्री त्रिपुरमालिनी का दरबार भव्य फूलों से सजाया गया।

तालाब के ऊपर बने मंदिर के सामने से गुजर कर लाइन पार्किंग तक लगी हुई थी।

तालाब के ऊपर बने मंदिर के सामने से गुजर कर लाइन पार्किंग तक लगी हुई थी।

मां के मंदिर जाने के लिए लगी लंबी लाइन।

मां के मंदिर जाने के लिए लगी लंबी लाइन।

मंदिर जाने के लिए लगी लंबी लाइन।

मंदिर जाने के लिए लगी लंबी लाइन।

अब पढ़ें मां त्रिपुरमालिनी मंदिर का इतिहास…..

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब अर्धांगिनी सती माता अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव को न बुलाए जाने का अपमान सहन नहीं कर पाई और उसी यज्ञ कुंड में कूद गईं। भगवान शिव को जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया व राजा दक्ष का सिर काट दिया।

बाद में भगवान शिव सती माता की जली हुई देह लेकर विलाप करते हुए ब्रह्मांड में घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। उसके अनुसार श्री देवी तलाब मंदिर में माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। जिसके चलते इस शक्ति पीठ का नाम मां त्रिपुरमालिनी पड़ा।

मान्यता है कि मां त्रिपुरमालिनी के दरबार में जो भी वक्त सवा महीने तक लगातार आता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। यहां हर शुक्रवार को मां की भव्य चौकी लगाई जाती है।