स्कूलों में दाखिले के लिए जागरूकता अभियान चलाते टीचर्स।
हरियाणा के फतेहाबाद जिले में इन दिनों स्कूलों में दाखिले बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग से लेकर स्कूल के टीचर्स तक मैदान में उतरे हुए हैं। प्रदेश सरकार ने एक भी बच्चा ड्रॉप आउट नहीं रहने देने को लेकर सख्ती की हुई है।
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ऐसे में स्कूल टीचर्स घर-घर जाकर पेरेंट्स को बच्चों का एडमिशन स्कूल में करवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मगर जागरूकता बढ़ाने के लिए रैलियां निकालने से लेकर बैनर छपवाने तक के लिए मात्र 500 रुपए का बजट है। ऐसे में अधिकांश स्कूल मुखिया या टीचर्स अपनी जेब से ही खर्च कर रहे हैं।
तीन साल से ड्रॉप आउट विद्यार्थियों को लाना होगा स्कूल
शिक्षा विभाग ने जीरो ड्रॉप आउट अभियान के तहत ऐसे विद्यार्थियों को स्कूल लाने के निर्देश दिए हुए हैं, जो तीन साल से ड्रॉप आउट हैं। आंगनबाड़ी, जन्म-मृत्यु रजिस्टर, गांव के शिक्षा रजिस्टर से रिकॉर्ड लेना होगा। सरकारी स्कूलों के मुखियाओं को मुख्य चौक-चौराहों पर स्कूल संबंधित होर्डिंग लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा इश्तिहार के माध्यम से भी प्रचार करना होगा। जागरूकता रैलियां भी निकालनी हैं।

फतेहाबाद जिले के गांव अहरवां में पेरेंट्स को जागरूक करते टीचर्स।
पिछले साल हुए थे 96 हजार स्टूडेंट्स के दाखिले
जिले में कोरोना महामारी के बाद सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या कम हुई है। शिक्षा विभाग ने नए सत्र में दाखिले को लेकर पूरा प्लान जारी कर दिया है। शिक्षकों को यहां तक निर्देश दिए गए है कि ऐसे विद्यार्थियों पर नजर रखें जो कि सरकारी स्कूल से एसएलसी लेकर निजी में दाखिला लेने की सोच रहे हैं। जिले में 620 सरकारी स्कूल हैं, जिसमें 386 प्राइमरी शामिल हैं। पिछले सत्र में जिले में करीब 96 हजार विद्यार्थियों के दाखिले हुए थे। शिक्षा विभाग कोशिश में है कि इस बार यह आंकड़ा और बढ़ाया जा सके।
पंचायतों का ले रहे सहयोग
गांवों के राजकीय स्कूलों में दाखिला बढ़ाने के लिए स्कूल मुखिया पंचायतों का भी सहयोग ले रहे हैं। पंचायतों के माध्यम से गांव के मौजिज लोगों के साथ बैठकों का दौर भी जारी है। पंचायतों से आह्वान करवाया जा रहा है कि पेरेंट्स बच्चों का सरकारी स्कूलों में एडमिशन करवाएं।

देवेंद्र सिंह दहिया।
सरकार को बजट बढ़ाना चाहिए: दहिया
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य चेयरमैन देवेंद्र सिंह दहिया का कहना है कि दाखिला बढ़ाने के लिए टीचर्स लगातार मेहनत कर रहे हैं। मगर हर बार 500 रुपए का बजट ही मिलता है। इसमें खर्च पूरा नहीं हो पाता है। एक बैनर ही 500 रुपए में तैयार होता है। अधिकांश टीचर्स अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं। सरकार को बजट बढ़ाना चाहिए।