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Delhi Building Collapse: वो 34 घंटे… जब सामने थी मौत, 3 टमाटर-गुड़ पट्टी खाई; परिवार ने सुनाया आंखों देखा मंजर

Thu 30 Jan 2025: Fact Recorder

Delhi Burari Building Collapse : बुरारी में इमारत गिरने के हादसे में एक परिवार के चार सदस्यों को 34 घंटे बाद मलबे से सुरक्षित निकाल लिया गया। राजेश उनकी पत्नी गंगोत्री और उनके दो बच्चे प्रिंस और ऋतिक मंगलवार की आधी रात को बचावकर्मियों की मेहनत से मलबे से बाहर निकले। इस हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई है।

  1. चार माह में ही दिल्ली के साथ न भूलने वाला मिला हादसा।
  2. इमारत की पहली मंजिल पर रुका हुआ था परिवार।
  3. राहत बचाव कार्य जारी, अभी और लोगों के दबे होने की आशंका।
 जिंदगी और मौत भगवान के हाथ में है। जितनी सांसें लिखी हैं, उतना तो आदमी जी ही जाएगा| ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि जिस मलबे के ढेर में दबकर पांच लोगों की मौत हो गई। उसी मलबे से चार लोगों का एक परिवार सुरक्षित बाहर निकल आया। आंसू मरने वाले लोगों के लिए भी बह रहे थे। आंसू इस परिवार को भी जिंदा देखकर भी बहे लेकिन, ये खुशी और संतोष के थे।
पति-पत्नी और उनके दो बच्चे मंगलवार की आधी रात को बचावकर्मियों की मेहनत से करीब 34 घंटे के बाद मलबे से बाहर आ गए। आनन-फानन में राजेश, पत्नी गंगोत्री और छह वर्षीय प्रिंस व दो वर्षीय ऋतिक को कैट्स एंबुलेंस की मदद से बुराड़ी अस्पताल भेजा गया। राजेश को मामूली खरोंचे आई हैं। वहीं, उसकी पत्नी के पैर में फैक्चर है। उसे सिविल लाइंस स्थित ट्रामा सेंटर में रेफर किया गया है।
पुलिस को दिए बयान में राजेश ने बताया कि वह मूलरूप से गांव कोटा कला, सिमोनी, बांदा, यूपी का रहने वाला है। एक जुलाई को काम की तलाश में वह दिल्ली के बुराड़ी में आया था। वह इमारत की पहली मंजिल पर अपनी पत्नी के साथ ईंटें ढोने का काम कर रहा था। वह इमारत की पहली मंजिल पर ही रहते थे। 

बन गई थी दो फीट की जगह 

बताया कि घटना वाले दिन उनका रसोई का एलपीजी सिलेंडर खत्म हो गया था। शाम करीब साढ़े छह बजे वह गैस भरवाकर इमारत में पहुंचकर रसोई में पहुंचे ही थे तभी अचानक इमारत भरभराकर गिर गई। गनीमत यह रही कि इमारत के जिस हिस्से में राजेश का परिवार मौजूद था, वहां लेंटर का एक बड़ा हिस्सा एलपीजी सिलिंडर पर आकर रुक गया। राजेश ने देखा कि सिलेंडर पर टिकने की वजह से वहां दो फीट की जगह बन गई थी। इसी जगह में उसका परिवार मौजूद था।

34 घंटे तक परिवार का हौंसला बढ़ाया

किसी तरह राजेश ने 34 घंटे इसी मलबे के बीच रहकर अपने परिवार का हौंसला बढ़ाया और उम्मीद नहीं खोई। बचाव दल जब उनके नजदीक आया तो उन्होंने बिजली के एक पतले पाइप से आवाज लगाकर संकेत भेजा। इत्तेफाक से फरिश्ता बनकर आए बचाव दल ने उसका संकेत सुन लिया और मलबा हटाते हुए परिवार को सकुशल निकाल लिया।

मलबे से परिवार को निकलता देख वहां मौजूद लोगों ने तालियां बजाईं, जबकि कुछ लोग भावुक हो गए और अपनी आंखों से आंसू रोक नहीं सके। वहीं राजेश का कहना था कि हादसे के बाद वह बचने की उम्मीद खो चुके थे, लेकिन पत्नी और बच्चों को देखकर उनका हौंसला बढ़ता रहा और वह परिवार के साथ मौत के मुंह से बाहर आए।

तीन टमाटर और थोड़ी गुड़ पट्टी से जीती जिंदगी की जंग

राजेश ने बताया कि इमारत गिरने के बाद वह गुफानुमा जगह में फंस गए थे, जहां अंधेरा छाया हुआ था। पत्नी के पैर पर एलपीजी सिलेंडर और पूरी दीवार टिकी हुई थी और वह दर्द से कराह रही थी। दोनों बच्चे मां की हालत को देख बिलबिलाकर रो रहे थे। ऐसी हालत में उसने बच्चों को संभाला। उसका मोबाइल फोन कहीं मलबे में दब गया था। किसी तरह बच्चों को संभाला, लेकिन भूख से बच्चे फिर रोने लगे।

इस दौरान उसे जमीन पर पड़े तीन टमाटर और कुछ गुड़ पट्टी दिखी। उसने बताया कि जब बच्चों को प्यास लगती थी तो बच्चों को थोड़ा सा टमाटर चटा देता था और भूख में बच्चों के मुंह में थोड़ी सी गुड़ पट्टी खिला देता था। इसी के सहारे उसने बच्चों का किसी तरह हौसला बनाए रखा।

बताया कि  34 घंटे तक मलबे के ऊपर लगातार जेसीबी और क्रेन चलने की आवाज आ रही थी। मशीनों के शोर के बीच वह चिल्ला-चिल्लाकर बचाने की गुहार लगा रहा था। यही गुहार आधी रात को बचावकर्मियों के कानों में पड़ गई। अस्पताल पहुंचने के बाद जब बच्चों को बिस्किट व कुछ नाश्ते का सामान दिया तो उनकी भूख मिटी, जिसे देख नर्स की भी भावुक हो गईं और उनकी आंखों से आंसू छलक उठे।

25 जनवरी को लौटना था गांव

राजेश ने बताया कि उसे 25 जनवरी को वापिस गांव लौटना था, लेकिन काम पूरा न होने के कारण ठेकेदार ने उसे तीन चार दिन में काम निपटाकर वापिस जाने को बोला था। ठेकेदार की बात मानकर वह वहीं रुक गया और गांव जाने की खुशी में किसी तरह एक एक दिन गुजार रहा था कि अचानक हादसे का शिकार हो गया। उसने बताया कि ऊपर वाले हमारी जान तो बचा ली, लेकिन पेट पालने के लिए अभी और चुनौतियाें से गुजरना है। उसने बताया कि उसका सारा सामान मलबे में दब गया है। यहां तक कि कपड़े तक नहीं हैं।

अब तक 22 लोगों को निकाला, पांच की मौत

बुराड़ी के कौशिक एंक्लेव इलाके में पिछले तीन दिन से राहत और बचाव कार्य जारी है। पुलिस, दमकल विभाग, एनडीआरएफ, डीडीएमए और नगर निगम के अलावा बाकी तमाम एजेंसी राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। हादसे के बाद से अब तक कुल 22 लोगों को मलबे से निकाला जा चुका है। इसमें पांच लोगों की जान जा चुकी है, जबकि बाकी सभी घायल हैं, जिनका अस्पताल में उपचार जारी है।