उप सिविल सर्जन डॉ. सुमन विश्वकर्मा
भिवानी में स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीबी मरीजों को मुख्यधारा से जोड़कर स्वस्थ करने के लिए अभियान चलाया हुआ है। जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग निक्षय मित्र बना रहा है। जिसके तहत एनजीओ, समाजसेवी व अन्य व्यक्तियों को जोड़ा जाता है। जिसका जिम्मा टीबी मरीजों को पो।
उप सिविल सर्जन डॉ. सुमन विश्वकर्मा ने बताया कि वर्ष 2024 में भिवानी जिले में 2894 टीबी के मरीज मिले थे। वहीं इस वर्ष अभी तक टीबी के 631 मरीज मिले हैं। टीबी मरीजों का इलाज मुख्यत: 6 महीने चलता है। अगर 6 माह तक मरीज नियमित दवाई खाता है तो वह ठीक हो सकता है। वहीं कुछ स्थिति में इलाज 9 महीने व 20 महीने भी चलता है।
टीबी मरीजों को दी जाने वाली किट
200 निक्षय मित्र बने उन्होंने बताया कि टीबी के मरीज की पहचान होने के बाद लोग भी उससे दूरी बनाते हैं। वहीं मरीज खुद भी अपने आप को अकेला समझने लगता है। ऐसे में कई बार मरीज कुपोषण का शिकार होने के कारण भी समय पर ठीक नहीं हो पाता। इसलिए विभाग द्वारा निक्षय मित्र बनाए जा रहे हैं। अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने करीब 200 निक्षय मित्र बनाए हैं। जो टीबी मरीजों की देखभाल करते हैं और उनके इलाज का पूरा जिम्मा उठाते हैं।
टीबी मुक्त भारत का चल रहा अभियान उप सिविल सर्जन डॉ. सुमन विश्वकर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान चल रहा है। जिसके अंतर्गत समाज के विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों निक्षय मित्र बनाया जाता है। जिसके तहत पालेराम चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक सुरेंद्र सभ्रवाल को निक्षय मित्र बनाया गया था। उन्होंने टीबी के पांच मरीजों को अडॉप्ट किया तथा उन मरीजों को हर माह पोषण किट उपलब्ध करवाते है। केंद्र सरकार भी हर माह टीबी के मरीजों को निक्षय मित्र योजना का लाभ देती है, जिसके तहत टीबी मरीजों को एक हजार रुपए प्रतिमाह भत्ता दिया जाता है। इस प्रकार के कार्यक्रमों से समाज में टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ती है। इस बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है।