अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद सिद्दीकी ED रिमांड पर; क्या दिल्ली ब्लास्ट केस से जुड़ी है गिरफ्तारी?

अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद सिद्दीकी ED रिमांड पर; क्या दिल्ली ब्लास्ट केस से जुड़ी है गिरफ्तारी?

19 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Education Desk: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद सिद्दीकी ED रिमांड पर; फर्जी मान्यता और 415 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक और अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को दिल्ली के साकेत कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रिमांड में भेज दिया है। जवाद को मंगलवार को अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में PMLA 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया था। यह कार्रवाई ग्रुप के ठिकानों पर हुई रेड में मिले महत्वपूर्ण दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर की गई।

ED ने हाल ही में लाल किला कार धमाके मामले से जुड़े आरोपों के चलते यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों और प्रमोटरों के 19 ठिकानों पर छापेमारी की थी। हालांकि, जवाद की गिरफ्तारी दिल्ली ब्लास्ट केस से नहीं, बल्कि फर्जी मान्यता और आर्थिक अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई है।
रिमांड नोट से सामने आए बड़े खुलासे
ED के रिमांड नोट में दावा किया गया है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने फर्जी NAAC मान्यता और UGC 12(B) स्टेटस का गलत दावा कर छात्रों को दाखिला दिया और मोटी कमाई की। इसी तरह के झूठे दावों के चलते यूनिवर्सिटी ने लगभग ₹415 करोड़ से अधिक की आय अर्जित की।

ITR की जांच में पता चला कि 2014–15 में 30.89 करोड़ और 2015–16 में 29.48 करोड़ रुपये को “दान” के नाम पर दिखाया गया।
2016–17 के बाद आय को “शैक्षणिक राजस्व” के रूप में दिखाया जाने लगा।
2018–19 में यह आय ₹24.21 करोड़ थी, जो 2024–25 में बढ़कर ₹80.01 करोड़ हो गई।

कौन-कौन से केस दर्ज?
जांच दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच द्वारा 13 नवंबर को दर्ज की गई दो FIR पर आधारित है। FIR में आरोप है कि—
यूनिवर्सिटी ने फर्जी NAAC Accreditation दिखाया
UGC के सेक्शन 12(B) के तहत मान्यता का झूठा दावा किया
छात्रों और अभिभावकों को गुमराह कर आर्थिक लाभ उठाया
FIR भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4), 336(2), 336(3), 336(4), 338 और 340(2) के तहत दर्ज है।
UGC ने भी पुष्टि की है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी केवल सेक्शन 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में सूचीबद्ध है और उसने कभी भी 12(B) स्टेटस के लिए आवेदन नहीं किया।

अल फलाह ट्रस्ट और कथित हेराफेरी
अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 8 सितंबर 1995 को हुई थी। जवाद सिद्दीकी शुरुआत से ही इसके ट्रस्टी और मुख्य नियंत्रणकर्ता रहे हैं। ट्रस्ट के अंतर्गत यूनिवर्सिटी और कई कॉलेज चलते हैं। ED के अनुसार, ट्रस्ट और यूनिवर्सिटी की तेज तरक्की उनकी वास्तविक वित्तीय क्षमता से मेल नहीं खाती।
छापेमारी में क्या मिला?
ED ने मंगलवार को दिल्ली-NCR के 19 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें—
₹48 लाख से अधिक कैश
कई डिजिटल डिवाइस
अहम दस्तावेज
दर्जनों शेल कंपनियों के सबूत

बरामद किए गए हैं।
जांच में सामने आया कि ट्रस्ट के फंड्स को जवाद की पत्नी और बच्चों की कंपनियों में डायवर्ट किया गया। निर्माण और कैटरिंग जैसी सेवाओं के ठेके भी इन्हीं कंपनियों को दिए गए। ED का आरोप है कि इसमें मनी ट्रेल छिपाने के लिए बड़े पैमाने पर लेयरिंग और गलत लेन-देन किए गए।

ED का दावा
जवाद सिद्दीकी ट्रस्ट और उसके आर्थिक निर्णयों को सीधे नियंत्रित करते थे। गलत तरीके से अर्जित धन को छिपाने और इधर-उधर करने में उनकी प्रमुख भूमिका बताई गई है।