आपातकाल को याद करना जरूरी है, ताकि लोकतंत्र फिर न रोए” – नरेश अरोड़ा

25 जून 2025 फैक्टर रिकॉर्डर 

Chandigarh Desk: आपातकाल स्मृति कार्यक्रम का विरोध लोकतंत्र का अपमान: भाजपा प्रवक्ता नरेश अरोड़ा      भाजपा प्रदेश प्रवक्ता नरेश अरोड़ा ने कांग्रेस नेता मनीष बंसल और आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के कुछ पार्षदों द्वारा आपातकाल स्मृति कार्यक्रम के विरोध को “लोकतंत्र की पीड़ा का उपहास” बताते हुए उसकी कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि ऐसे विरोध दुर्भाग्यपूर्ण हैं और यह उन असंख्य लोगों के बलिदान का अपमान है जिन्होंने आपातकाल के काले दौर में लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया।

“आपातकाल: भारतीय लोकतंत्र पर सबसे क्रूर हमला”

नरेश अरोड़ा ने कहा कि 25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र की आत्मा पर किया गया सबसे क्रूर प्रहार था। उस समय लाखों निर्दोष लोगों को बिना किसी अपराध के जेलों में बंद कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को कुचल दिया गया, और जनता की आवाज़ को बंदूक की नोक पर खामोश किया गया।

“यह राजनीतिक नहीं, आत्मा की पुकार है”

उन्होंने साफ किया कि आपातकाल स्मृति कार्यक्रम कोई राजनीतिक मंच नहीं, बल्कि यह उन परिवारों की पीड़ा की याद है जिनके सपनों को रौंदा गया था। उन्होंने विरोध करने वाले नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि शायद उन्होंने वो आँसू, वो भय और वो घुटन कभी महसूस नहीं की, जो उस दौर के नागरिकों ने झेली थी।

“यह विरोध नहीं, संकल्प का क्षण है”

नरेश अरोड़ा ने कहा कि यह आयोजन किसी पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि इस संकल्प का प्रतीक है कि फिर कभी कोई सत्ता लोकतंत्र को रौंदने की हिम्मत न कर सके। यह कार्यक्रम आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाने के लिए जरूरी है कि आज की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किन संघर्षों और बलिदानों का परिणाम है।

“भाजपा लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध”

अरोड़ा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र और संविधान की गरिमा की रक्षा के लिए ऐसे स्मृति दिवस मनाना अपना कर्तव्य मानती है। उन्होंने दोटूक कहा, “हम किसी भी विरोध से न डरते हैं, न विचलित होते हैं।”

यह बयान भाजपा की ओर से एक स्पष्ट संदेश है कि लोकतंत्र के इतिहास को याद रखना और उससे सबक लेना न केवल जरूरी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए अनिवार्य भी है।