09 जून 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
India Desk: उत्तराखंड कांग्रेस में नेतृत्व संकट: नई पौध नहीं, पुरानों की पकड़ भी ढीली उत्तराखंड कांग्रेस बीते आठ वर्षों से सत्ता से बाहर है और इसका असर पार्टी की आंतरिक संरचना पर साफ दिखाई दे रहा है। पार्टी की पहली पंक्ति के नेता जहां अपनी कमजोर होती राजनीतिक पकड़ को संभालने में जुटे हैं, वहीं दूसरी कतार के नेता अब तक संगठन में स्थायी जड़ें नहीं जमा पाए हैं। इससे 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के सामने एक दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में कांग्रेस की नई नेतृत्व वाली पीढ़ी न के बराबर दिख रही है। एनएसयूआई और युवा कांग्रेस जैसे संगठन, जिन्हें कभी पार्टी की नर्सरी माना जाता था, अब निष्क्रियता और नेतृत्वविहीनता का शिकार हैं। इन संगठनों में पहले जैसा जोश और राजनीतिक सक्रियता अब दिखाई नहीं देती।
विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक सत्ता से दूर रहने के कारण पार्टी का आधार कमजोर हुआ है और पार्टी के अंदर से कोई नया, लोकप्रिय और जनाधार वाला युवा चेहरा नहीं उभरा है। जो युवा चेहरे सामने आए भी हैं, वे अधिकतर राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, जिससे आम कार्यकर्ताओं का मनोबल भी प्रभावित हुआ है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि पार्टी में संगठनात्मक स्तर पर सुधार की ज़रूरत है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि पार्टी में नेताओं की कोई कमी नहीं है और कांग्रेस आज भी एक ऐसी पार्टी है जहां कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेता तक सभी को समान महत्व दिया जाता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा कांग्रेस के नेताओं को डराकर अपनी पार्टी में शामिल कर रही है।
फिलहाल, कांग्रेस को अगर 2027 में मजबूत वापसी करनी है तो उसे जमीनी स्तर पर नए नेताओं को उभारना होगा और संगठनात्मक ताकत को पुनर्जीवित करना होगा, वरना चुनावी मैदान में उसका संघर्ष और लंबा खिंच सकता है।