मंत्री ने बताया कि विभागीय संरचना को अधिक कार्यकुशल बनाने के लिए लोक स्वास्थ्य निदेशालय, स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय, चिकित्सा शिक्षा निदेशालय का गठन किया जायेगा। तीनों निदेशालयों के प्रमुख महानिदेशक होंगे और इनके बीच समन्वय के लिए एक महानिदेशक-सह-विशेष सचिव के पद का भी सृजन किया गया है। अब तक जिला और उप-जिला स्तर के चिकित्सा संस्थानों में मरीजों की देखभाल और स्वास्थ्य कार्यक्रमों का संचालन एक ही चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा किया जाता था। इस नवीन व्यवस्था से अब चिकित्सा सेवाओं और जनस्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए पृथक-पृथक तंत्र उपलब्ध होगा, जिससे दोनों क्षेत्रों में अधिक दक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि इन व्यवस्थाओं के लागू होने से बिहार में स्वास्थ्य सुविधाएं और अधिक व्यवस्थित होंगी तथा आम जनता तक प्रभावी ढंग से पहुंचेगी।
संविदा पर कार्यरत कर्मियों को स्थायित्व करने का अवसर
मंडल पांडेय ने बताया कि इन नवसृजित पदों के माध्यम से न केवल 20,016 नई नियुक्तियों का मार्ग प्रशस्त होगा, बल्कि वर्तमान में राज्य स्वास्थ्य समिति के अंतर्गत संविदा पर कार्यरत कर्मियों को स्थायित्व और वृत्ति उन्नयन का भी अवसर प्राप्त होगा। यह कदम स्वास्थ्यकर्मियों के मनोबल को ऊंचा करने और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने में सहायक सिद्ध होगा। नवसृजित 20,016 पदों में मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, लोक स्वास्थ्य अधिकारी, कम्युनिटी प्रोसेस कोऑर्डिनेटर, हॉस्पिटल मैनेजर के पद शामिल हैं।
शीघ्र ही भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की जायेगी
विकास आयुक्त सह स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने जानकारी दी कि नवगठित संवर्गों की नियमावली के निर्माण हेतु एक विशेष कोषांग का गठन किया जाएगा। जो जल्द से जल्द नियमावली बनाएगी। जिसके बाद नियमावली के अनुमोदन के पश्चात शीघ्र ही भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की जायेगी। उन्होंने कहा कि यह निर्णय राज्य के स्वास्थ्य सेवा ढांचे को अधिक संगठित, उत्तरदायी और जनोन्मुखी बनाएगा तथा ‘स्वस्थ बिहार’ की दिशा में एक सशक्त कदम साबित होगा।