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विश्व विरासत दिवस चंदपुर गरही 52 किलों में से एक है जो महल की गतिविधियों के बारे में बताता है कर्णप्रैग चमोली – अमर उजला हिंदी समाचार लाइव

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52 गढ़ों में से एक है चांदपुर गढ़ी। यह गढ़ी सन् 888 ईसवीं में गढ़वाल के राजा कनकपाल द्वारा स्थापित प्राचीन गढ़ नरेशों की राजधानी रही है। वर्ष 2003 में यहां पुरातत्व विभाग ने उत्खनन किया, जिसमें कई संरचनाएं मिली। जिनको आकार देकर पुरातत्व विभाग ने महल की गंतिविधियों को लोगों को बताने का प्रयास शुरू किया। जिससे अब यहां काफी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

नैनीताल हाईवे पर कर्णप्रयाग से करीब 15 किमी की दूरी पर चांदपुर गढ़ी है। हाईवे से करीब एक किमी ऊंची पहाड़ी पर गढ़वाल नरेशों के इस किले से समूचे चांदपुर पट्टी पर नजर पड़ती है। वर्ष 2003 में यहां उत्खनन कार्य शुरू हुआ। जिसमें 12 से अधिक आवासीय व सैनिकों के कक्ष, ओखली, पानी के पाइप, गूल, कुआं, चहारदीवारी के साथ प्रस्तर चौपड़, मिट्टी के बर्तन भी मिले। राजजात यात्रा की जन्मस्थली मानी जाने वाली चांदपुर गढ़ी आज अपने इतिहास व स्थापत्य कला के कारण पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है।




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विश्व विरासत दिवस चंदपुर गरह 52 किलों में से एक है जो महल की गतिविधियों के बारे में बताता है

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चांदपुर गढ़ी
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी


आदिबदरी मंदिर समूह में बढ़ा बारहमासी तीर्थाटन

यहां भगवान आदि बदरीनाथ समेत 16 मंदिरों का समूह है। जिसमें दो मंदिर खंडित हैं। यहां भोग कुटिया व कीर्तन मंडप का जीर्णोद्धार, सुरक्षा के लिए चहारदीवारी का निर्माण भी किया गया। 2006 में मंदिर के प्राचीन सौंदर्य व दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए कुछ प्रयास किए गए। अब वर्षभर यहां देश विदेश के तीर्थयात्री पहुंचते हैं।


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चांदपुर गढ़ी
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी


स्थानीय लोगों की दिक्कतें बढ़ी

हालांकि पुरातत्व विभाग की गतिविधियों से स्थानीय लोगों की दिक्कतें बढ़ी हैं। विभाग ने स्मारकों के 300 मीटर के क्षेत्र में निर्माण पर रोक लगा दी है, जिससे यहां पुराने मकानों की मरम्मत तक नहीं हो पा रही है। मंदिर समिति के संरक्षक उषा नवानी का कहना है कि पहाड़ों में आवासीय मकानों के निर्माण के लिए बहुत कम भूमि होती है। ऐसे में पुरातत्व विभाग को मैदानी मानकों के नियम यहां लागू नहीं करने चाहिए। किले में क्षतिग्रस्त प्रतीक्षालय की मरम्मत नहीं हो पाई है। दुर्ग परिसर में पेयजल की सुविधा व संपर्क मार्ग को भी ठीक नहीं किया जा सका है। जिससे पर्यटकों को असुविधा होती है।


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चांदपुर गढ़ी।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी


इतिहास

चांदपुर गढ़ी की स्थापना पंवार वंश के राजा कनकपाल ने गुर्जर देश से आकर 888 ई0 में स्थापना की थी। उसके बाद पंवार वंश के 37 राजाओं ने चांदपुर गढी को अपनी राजधानी बना कर पूरे गढ़वाल पर राज किया। सन् 1512 में इस वंश के 37वें राजा अजयपाल चांदपुर गढ़ी से राजधानी को श्रीनगर के नजदीक देवलगढ़ ले गए।

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चांदपुर गढ़ी।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी


चांदपुर गढ़ी मंदिर में मरम्मत व अन्य कार्य जुलाई-अगस्त माह में शुरू हो जाएंगे। जबकि आदिबदरी मंदिर समूह के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। -प्रमोद सेमवाल, कंजर्वेशन असिस्टेंट पुरातत्व विभाग