सिद्धार्थ यादव की अंतिम विदाई में मंगेतर सानिया पार्थिव शरीर को देखकर रोते हुए कहती हैं कि बेबी तू आया नहीं मुझे लेने, तूने कहा था तू आएगा। यह लाइन वहां मौजूद लोगों का कलेजा चीर रही थी, वहां मौजूद लोगों की आंखों से आंसू नहीं रुक पाए। दरअसल, 23 मार्च को सानिया और सिद्धार्थ यादव की सगाई हुई थी। दो नवंबर की दोनों की शादी होनी थी, लेकिन उससे पहले ही गुजरात में जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटना में सिद्धार्थ यादव बलिदान हो गए। उनका पार्थिव शरीर जैसे ही गांव पहुंचा, पूरा गांव उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ आया।
सिद्धार्थ की मां रोते-रोते बेहोश
इससे पहले, शुक्रवार की सुबह सिद्धार्थ का पार्थिव शरीर शहर स्थित सेक्टर 18 में पहुंचा था। यहां से पार्थिव शरीर को गांव भालखी माजरा ले जाया गया। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। सभी की आखें नम थी। बेटे का पार्थिव शरीर देखते हुए सिद्धार्थ की मां रोते रोते बेहोश हो गई। इस दौरान लेफ्टिनेंट की टोपी मां को पहनाई गई। एयरफोर्स जवानों ने मां को सिद्धार्थ का फोटो दिया।
‘बेटा चीफ ऑफ एबर स्टॉफ बनकर ही घर आए’
सिद्धार्थ के पिता सुशील यादव ने कहा कि उनका सपना था कि बेटा चीफ ऑफ एबर स्टॉफ बनकर ही घर आए। हर एयरफोर्स अधिकारी के पिता का यही सपना होता है, उनका भी यही सपना था। सिद्धार्थ घर से गया तो शादी के बारे में ही बात हुई थी। दो नवंबर की शादी की तारीख तय हुई थी। इसको लेकर तैयारी चल रही थी। बताया कि मेरी चार पीढ़ी सेना से रही है। सिद्धार्थ बहादुर बच्चा था, हमेशा खुद को आगे रखने की कोशिश करता था।
सिद्धार्थ का 9 वर्ष पहले हुआ था एनडीए में चयन
सिद्धार्थ ने 2016 में एनडीए की परीक्षा पास की थी। इसके बाद तीन साल का प्रशिक्षण लेकर उन्होंने बतौर फाइटर पायलट वायुसेना जॉइन की थी। उनको दो साल बाद प्रोमोशन मिला था और वह फ्लाइट लेफ्टिनेंट बन गए थे। सिद्धार्थ यादव के पिता सुशील यादव मूल रूप से गांव भालखी माजरा के रहने वाले हैं। वह लंबे समय से रेवाड़ी में ही रह रहे हैं। बेटे की शादी के लिए ही उन्होंने सेक्टर-18 में घर बनाया था। इसी घर पर बेटे की शादी होनी थी। सिद्धार्थ बड़े बेटे थे। उनकी एक छोटी बहन है।