पति ने तलाक मांगा तो टूट गई पत्नी, बोली- कमरे में बंद कर पीटा, कई दिन भूखा रखा… हाथ-पैर पर सु*साइड नोट लिखकर दी जान”

17 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

National Desk: यह घटना अत्यंत दुखद और चिंताजनक है, जो समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ते उत्पीड़न और दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों की ओर इशारा करती है। मनीषा (24 वर्ष) की आ*त्महत्या के पीछे उसके पति और ससुराल वालों का अमानवीय व्यवहार, दहेज की मांग, शारीरिक-मानसिक प्रताड़ना और जबरन ग*र्भपात जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं। यह मामला निम्नलिखित मुद्दों को उजागर करता है:

1. दहेज उत्पीड़न और हिंसा
शादी के पांच महीने बाद ही ससुराल पक्ष ने थार गाड़ी और लाखों रुपये की मांग शुरू कर दी।

दहेज न मिलने पर मनीषा को बंद कमरे में भूखा रखकर पीटा गया, यहां तक कि उसका जबरन ग*र्भपात भी कराया गया।

2. पंचायतों की विफलता
दो बार पंचायत हुई, लेकिन समझौते के बावजूद ससुराल वालों ने उत्पीड़न जारी रखा।

पति ने गांव वालों के सामने मनीषा के परिवार की बेइज्जती करते हुए तलाक की धमकी दी।

3. सुसाइड नोट में उजागर पीड़ा
मनीषा ने अपने हाथ-पैरों पर लिखकर ससुराल वालों के अत्याचारों का ब्यौरा दिया।

उसने स्पष्ट लिखा कि उसकी मौत के लिए पति, सास, ससुर और दोनों देवर जिम्मेदार हैं।

4. पुलिस और प्रशासन की भूमिका
परिवार द्वारा शिकायत करने के बाद ही पुलिस ने जांच शुरू की है।

IPC की धाराएं जैसे 498A (दहेज उत्पीड़न), 304B (दहेज मृ*त्यु), 306 (आ*त्महत्या के लिए उकसाना) और 313 (जबरन ग*र्भपात) के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए।

5. सामाजिक जिम्मेदारी
ऐसे मामलों में समाज और प्रशासन को संवेदनशीलता दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।

महिलाओं को कानूनी सहायता (जैसे वन स्टॉप सेंटर, 181 हेल्पलाइन) और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:
मनीषा की मौ*त केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज और व्यवस्था की विफलता है। दहेज और महिला उत्पीड़न के खिलाफ कड़े कानूनी कदमों के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए।