27 जून 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
Rashifal Desk: हर महीने की पूर्णिमा तिथि का अपना विशेष महत्व होता है, और साल 2025 में आने वाली सावन माह की पूर्णिमा भी खास महत्व रखती है। सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है, जिसे भोलेनाथ की आराधना के लिए अत्यंत शुभ समय कहा जाता है। इस महीने में की गई पूजा-पाठ और व्रतों का फल सौगात के समान होता है। आइए जानें साल 2025 में सावन माह की पूर्णिमा कब है और इस दिन के महत्व के बारे में।
सावन माह और उसकी विशेषता
सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस माह में भक्त शिव जी की भक्ति में लीन रहते हैं और अनेक व्रत-त्योहार मनाते हैं। कुल मिलाकर साल में 12 पूर्णिमा तिथियां आती हैं, जो हर महीने के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि होती हैं। इसके बाद नया महीना प्रारंभ होता है।
साल 2025 में सावन माह 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक रहेगा, और इस माह की अंतिम पूर्णिमा तिथि रक्षाबंधन के दिन ही मनाई जाएगी।
सावन पूर्णिमा 2025 की तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 8 अगस्त 2025, दोपहर 2:12 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2025, 1:24 बजे
सावन पूर्णिमा तिथि: 9 अगस्त 2025
चंद्र उदय का समय: शाम 6:45 बजे
सावन पूर्णिमा का महत्व
सावन माह की पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष की पाँचवीं पूर्णिमा होती है। यह दिन धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। सावन पूर्णिमा को भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा का विशेष दिन माना जाता है।
सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन भी मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम और कर्तव्य का प्रतीक है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
सावन पूर्णिमा के दिन क्या करें?
सावन पूर्णिमा के दिन स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
सुबह स्नान अवश्य करें, क्योंकि इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है।
भगवान शिव और विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें।
पूर्णिमा व्रत रखें और उसकी नियमपूर्वक विधि का पालन करें।
रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें, जिससे व्रत संपूर्ण माना जाता है।
सावन पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिक उन्नति और भक्ति भाव से परिपूर्ण होता है। यह अवसर अपने परिवार, समाज और स्वयं के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का श्रेष्ठ समय है। इसलिए इस दिन के महत्व को समझते हुए सही पूजा, व्रत और दान-पुण्य अवश्य करें।