03 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
Lifestyle: कैब से सफर होगा महंगा: सरकार की नई गाइडलाइन में बढ़ा किराया, जानिए पीक ऑवर्स, बेस फेयर और बाकी हर जानकारी
अगर आप ओला, उबर या रैपिडो जैसी कैब सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 जारी कर दी है, जिसके तहत कैब कंपनियां अब पीक ऑवर्स में यात्रियों से बेस फेयर का दोगुना तक किराया वसूल सकेंगी। पहले यह सीमा 1.5 गुना तक थी।
क्या होता है पीक ऑवर्स?
पीक ऑवर्स वह समय होता है जब कैब की मांग बहुत अधिक होती है। यह आमतौर पर ऑफिस टाइम, स्कूल-कोचिंग का समय, खराब मौसम या ट्रैफिक जाम के दौरान होता है। ऐसे समय में कैब की उपलब्धता कम और मांग ज्यादा होती है, जिस कारण किराए में बढ़ोतरी की जाती है।
नया नियम क्या कहता है?
पीक ऑवर्स में अब बेस किराए से 2 गुना तक चार्ज किया जा सकता है।
ड्राइवर अगर बिना वाजिब कारण किसी राइड को कैंसिल करता है, तो उस पर बेस फेयर का 10% जुर्माना लगेगा।
ड्राइवरों के लिए 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर अनिवार्य किया गया है।
सरकार ने इन गाइडलाइंस को अगले तीन महीनों में लागू करने की सिफारिश की है।
बेस किराया क्या होता है और इसे कौन तय करता है?
बेस फेयर किसी भी वाहन (कैब, ऑटो, बाइक टैक्सी आदि) की तय न्यूनतम कीमत होती है, जो एक निश्चित दूरी या समय के लिए लागू होती है। इसे राज्य सरकारें तय करती हैं।
क्या नॉन-पीक ऑवर्स में भी महंगा होगा किराया?
नहीं, नॉन-पीक ऑवर्स में दोगुना किराया नहीं लिया जाएगा। लेकिन ड्राइवर की आय सुनिश्चित करने के लिए किराया बेस फेयर का न्यूनतम 50% जरूर होगा।
उदाहरण: अगर 2 किलोमीटर की बाइक टैक्सी का बेस फेयर 100 रुपये है, तो नॉन-पीक ऑवर्स में भी कम से कम 50 रुपये चार्ज किए जाएंगे।
निष्कर्ष
अगर आप कैब से यात्रा करते हैं, तो नए नियमों के लागू होने के बाद आपकी जेब पर थोड़ा अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है, खासकर पीक ऑवर्स में। हालांकि यह कदम ड्राइवरों की आय और सेवा की गुणवत्ता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।