06 सितम्बर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
International Desk: भारत-अमेरिका टकराव: दबाव में नहीं झुका भारत, बदल गए ट्रंप के सुर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत को टारगेट करते हुए 50% टैरिफ लगा दिया, लेकिन भारत अपने रुख से पीछे नहीं हटा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कहा कि भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के मुताबिक फैसला करेगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कई मंचों पर यह दोहराया कि रूसी तेल खरीदना राष्ट्रीय हित में है और इससे वैश्विक तेल बाज़ार को स्थिर रखने में मदद मिलती है।
वैश्विक मंचों पर भारत का दम 31 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में एससीओ समिट में भाग लेकर शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। भारत का यह कदम अमेरिका को संकेत देता है कि वह बहुपक्षीय मंचों पर सक्रिय और मज़बूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
अमेरिकी दबाव के बावजूद कृषि क्षेत्र पर समझौता नहीं अमेरिका लगातार भारत से अपने कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए बाज़ार खोलने की मांग करता रहा है, लेकिन भारत ने घरेलू किसानों के हितों को प्राथमिकता देते हुए अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ में कोई रियायत नहीं दी।
ब्रिक्स समिट में भारत की भूमिका 8 सितंबर को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ब्रिक्स की वर्चुअल समिट में शामिल होंगे। ब्राजील की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक में अमेरिकी टैरिफ से निपटने पर चर्चा होगी।
ट्रंप को अमेरिका में भी विरोध ट्रंप के करीबी सलाहकार पीटर नवारो ने रूस-यूक्रेन युद्ध को “मोदी का युद्ध” कहा और भारत पर गंभीर आरोप लगाए। इससे अमेरिकी हिंदू समुदाय भड़क उठा। वहीं, पूर्व NSA जेक सुलिवन ने भी टैरिफ को रणनीतिक गलती बताया और कहा कि भारत से दूरी अमेरिका के वैश्विक हितों को नुकसान पहुंचाएगी।
ट्रंप के सुर क्यों बदले? 5 सितंबर को ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है, लेकिन अगले ही दिन उन्होंने रुख बदलते हुए पीएम मोदी को “महान प्रधानमंत्री” बताया और कहा कि वह हमेशा उनके दोस्त रहेंगे।
कुल मिलाकर भारत ने यह संदेश साफ कर दिया है कि उसकी विदेश नीति किसी भी देश के दबाव पर नहीं, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर तय होगी।