ट्रेड यूनियनों और बैंकों ने पूरे देश में किया हड़ताल का ऐलान, जानें क्या हैं उनकी मुख्य मांगें?

09 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

National Desk: नए श्रम कानूनों और निजीकरण के विरोध में ट्रेड यूनियनों और बैंकों की देशव्यापी हड़ताल, जानिए क्या हैं मुख्य मांगें  केंद्र और राज्यों की ट्रेड यूनियनों से जुड़े कर्मचारी बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर उतर आए हैं। इस हड़ताल से बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला, राजमार्ग और निर्माण जैसे अहम क्षेत्रों की सेवाएं प्रभावित होने की आशंका है। कर्मचारी नए श्रम संहिता, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण, न्यूनतम वेतन वृद्धि और पुरानी पेंशन योजना की बहाली जैसी मांगों को लेकर विरोध जता रहे हैं।

क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें?

चारों श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द किया जाए।
ठेके पर काम करने की प्रथा को समाप्त किया जाए।
केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे पीएसयू के निजीकरण को रोका जाए।
न्यूनतम वेतन बढ़ाकर ₹26,000 प्रति माह किया जाए।
पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।
किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग के C2 + 50% फॉर्मूले के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित किया जाए।
किसानों के कर्ज को माफ किया जाए।

किसे मिला समर्थन?
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU), इंटक, एटक जैसी केंद्रीय यूनियनों के साथ-साथ संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और नरेगा संघर्ष मोर्चा जैसे संगठनों ने हड़ताल को समर्थन दिया है। प्रदर्शन के दौरान औद्योगिक क्षेत्रों में सड़कें जाम करने, ट्रेनों को रोकने और विरोध रैलियों की योजना बनाई गई है।

हालांकि, आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (BMS) इस हड़ताल में शामिल नहीं हुआ है। BMS ने इसे राजनीति से प्रेरित विरोध करार दिया है।

झारखंड में भी दिखा विरोध का असर
राज्य की राजधानी रांची में ट्रेड यूनियनों और वामपंथी दलों ने मंगलवार शाम मशाल जुलूस निकाल कर हड़ताल का समर्थन किया। यह जुलूस सैनिक मार्केट से शुरू होकर अल्बर्ट एक्का चौक तक गया। आयोजकों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन तेज करने का संकल्प दोहराया।

देशभर में इस हड़ताल से विभिन्न क्षेत्रों में कामकाज प्रभावित होने की संभावना है, खासकर जहां सरकारी सेवाएं और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ कार्यरत हैं।