ईरान जिस पर कर रहा भरोसा, वही अमेरिका का पुराना साथी; कहीं न बन जाए ये कदम बड़ी चूक

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30 जून 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

International Desk: ईरान ने पाकिस्तान को सहयोगी मानकर जताया आभार, लेकिन क्या ये भरोसा गलत साबित होगा?                                                                                                                         ईरान के सैन्य प्रमुख जनरल मौसवी ने हाल ही में इजराइल–ईरान संघर्ष में पाकिस्तान की ओर से मिलने वाली समर्थन भावना के लिए पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर को धन्यवाद दिया। मौसवी ने पाकिस्तान को “मददगार” बताया और व्हाइट हाउस में ट्रम्प द्वारा मुनीर की प्रशंसा को भी याद किया।

हालांकि यह संकेत पाकिस्तान और ईरान के करीबी संबंध का दावा करता है, वास्तविकता कुछ और है:

पाकिस्तान का अमेरिकी गठबंधन: पाकिस्तान को अक्सर अमेरिका का ‘पुराना सहयोगी’ माना जाता रहा है। 1990 के दशक में अमेरिकी निर्देश पर आतंकवाद के फैलाव में भूमिका निभाने की इसके बाद भी पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अमेरिकी मिशनों में मदद की थी।

ईरान को मिली सीमित समर्थन: जबकि पाकिस्तान ने दुतीय वक्तव्य जारी किया, उसने वास्तविक समय में ईरान को कोई कोर-कर वापसी समर्थन नहीं दिया—ना सीमा खोली, ना मानवीय सहायता भेजी।

पड़ोसी राष्ट्रों की प्रतिक्रिया: ईरान की सरकारी न्यूज़ एजेंसी मैहर ने दूसरों के साथ अपने देश की खराब अपील पर निशाना साधा और कहा कि जब घर में आग लगी हो, तो पड़ोसी की भूमिका पानी लेकर पहुंचना है—जो कि ईरान के अनुसार पाकिस्तान जैसी सरकारों ने नहीं निभाई।

विश्लेषकों का कहना है कि, जैसा हुआ अफगानिस्तान के साथ—जो कभी पाकिस्तान का करीबी था लेकिन अब बेज़ार—उसी तरह ईरान का यह अस्थायी भरोसा पाकिस्तान के लिए भारी पड़ सकता है।
ईरान के नेता शायद अब यह एहसास करेंगे कि “मददगार” तमगा अक्सर सिर्फ बयान तक सीमित होता है, खासकर जब वास्तविक कार्रवाई की बात आती है।