14 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
National Desk: जेलों में बढ़ते कट्टरपंथ पर केंद्र सरकार सख्त, गृह मंत्रालय ने राज्यों को भेजे निर्देश – सुधारों की रूपरेखा तय गृह मंत्रालय ने देश की जेलों में कट्टरपंथ के बढ़ते खतरे को गंभीर चुनौती मानते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजा है। इस पत्र में जेल मैनुअल में जरूरी सुधारों और कट्टरपंथ रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
गृह मंत्रालय द्वारा पत्र में सुझाए गए प्रमुख बिंदु:
कट्टरपंथ पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं, इसे आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया गया है।
कैदियों की नियमित स्क्रीनिंग और जोखिम मूल्यांकन अनिवार्य करने को कहा गया है।
उच्च जोखिम वाले कैदियों को सामान्य कैदियों से अलग रखने का सुझाव दिया गया है।
मंत्रालय ने चेताया है कि जेलों में सामाजिक अलगाव और निगरानी की कमी कट्टरपंथ को जन्म दे सकती है, जिससे कैदी हिंसक साजिश रच सकते हैं।
कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित कैदी, जेलकर्मियों, अन्य कैदियों या बाहरी व्यक्तियों पर हमले की योजना बना सकते हैं।
पत्र में कहा गया है कि व्यवहार-आधारित मूल्यांकन प्रणाली विकसित की जाए, ताकि समय-समय पर हर कैदी का मूल्यांकन किया जा सके।
उच्च सुरक्षा वाले विशेष जेल परिसर बनाने पर विचार करने को कहा गया है, साथ ही जेलों में निगरानी उपकरण और खुफिया नेटवर्क को मजबूत करने की जरूरत बताई गई है।
कैदियों और उनके परिवारों के बीच संपर्क बनाए रखना जरूरी बताया गया है, जिससे उनका पुनर्वास बेहतर हो सके।
सरकार का मानना है कि कट्टरपंथ पर नियंत्रण से हिंसक उग्रवाद का खतरा कम किया जा सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए जरूरी है।
जेलों को सिर्फ दंड का स्थान नहीं, बल्कि सुधार केंद्र बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया है, जिससे कैदी समाज की मुख्यधारा में लौट सकें।
सुधार के बाद भी फॉलोअप जरूरी:
गृह मंत्रालय ने यह भी कहा है कि जेल से छूटने के बाद कैदियों की फॉलोअप निगरानी और व्यावहारिक पुनर्वास के जरिए उनके चरमपंथी विचारों को बदला जा सकता है।
सरकार ने सभी राज्यों से अपील की है कि वे इस दिशा में ठोस कार्य योजना तैयार करें और तुरंत लागू करें, ताकि जेलों को सुरक्षित और पुनर्वास उन्मुख बनाया जा सके।