18 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Rashifal Desk: सीता जन्म कथा: क्यों रखा गया माता का नाम ‘सीता’? जानिए जनक नंदिनी की उत्पत्ति की रोचक कहानी
हिंदू धर्म में भगवान श्रीराम की अर्धांगिनी माता सीता को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। वे पवित्रता, त्याग, धैर्य और आदर्श नारीत्व की प्रतीक हैं। मिथिला के राजा जनक को माता सीता एक दिव्य रूप में प्राप्त हुई थीं। इसलिए उन्हें मैथिली, जानकी और जनक नंदिनी कहा जाता है। लेकिन माता का नाम सीता क्यों पड़ा और उनका जन्म कैसे हुआ—इसकी कथा अत्यंत रोचक है।
मिथिला में सूखे का संकट
कहा जाता है कि उस समय मिथिला कई वर्षों से भयंकर सूखे की मार झेल रहा था। जल स्रोत सूख चुके थे, अनाज नहीं उग रहा था और प्रजा कष्ट में थी। राजा जनक गहन चिंता में थे—इस संकट से उबरने का मार्ग क्या हो?
ऋषियों की सलाह और विशेष यज्ञ
राजा जनक ने ऋषियों-मुनियों से परामर्श लिया। सभी ने प्रकृति को प्रसन्न करने के लिए विशेष यज्ञ की सलाह दी और साथ ही कहा कि यज्ञ के बाद राजा को स्वयं खेत में हल चलाना चाहिए। राजा जनक ने श्रद्धा के साथ यज्ञ करवाया।
हल की नोक से मिला दिव्य संदूक
यज्ञ पूरा होने के बाद राजा जनक स्वयं सोने का हल लेकर खेत जोतने उतरे। अचानक हल कठोर वस्तु से टकराया। भूमि खोदी गई तो वहां एक दिव्य तेज से चमकता हुआ संदूक मिला। जब संदूक खोला गया, तो उसमें एक अलौकिक सुंदर नवजात कन्या दिखाई दी।
उसी क्षण आकाश में बादल घिर आए और वर्षों बाद मिथिला में वर्षा हुई। धरती हरी-भरी हो उठी। राजा जनक ने समझ लिया कि यह कन्या परमशक्ति का अवतार है।
इसलिए रखा गया नाम ‘सीता’
चूंकि यह कन्या राजा जनक को हल की सीत (हल की नोक द्वारा बनी रेखा) से प्राप्त हुई थी, इसलिए उनका नाम रखा गया सीता।
राजा जनक और रानी सुनयना के कोई संतान नहीं थी। उन्होंने इस दिव्य बालिका को पुत्री के रूप में अपनाया और वह मिथिला की प्रिय जनक नंदिनी बन गईं।
इस प्रकार माता सीता का जन्म प्रकृति, दिव्यता और करुणा की अद्भुत कथा समेटे हुए है।













