शशि थरूर ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर साधा निशाना, बोले: अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर हुई थी क्रूरता

10 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

Politics Desk: शशि थरूर ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर साधा निशाना, बोले – अनुशासन के नाम पर हुई थी क्रूरता, लोकतंत्र को हल्के में न लें

कांग्रेस सांसद और पार्टी की कार्यसमिति के सदस्य शशि थरूर ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के खिलाफ मुखर रुख अपनाया है। इस बार उन्होंने 1975 में लगाए गए आपातकाल को लेकर कांग्रेस की आलोचना की है। एक मलयालम अखबार में प्रकाशित लेख में थरूर ने लिखा कि अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर की गई कार्रवाइयों ने क्रूरता का रूप ले लिया था, जिसे किसी भी हाल में उचित नहीं ठहराया जा सकता।

थरूर ने आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी की नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि संजय गांधी के नेतृत्व में जबरन नसबंदी अभियान चलाया गया, जो आपातकाल के सबसे काले अध्यायों में से एक बन गया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस अभियान को ग्रामीण इलाकों में हिंसा और जबरदस्ती से लागू किया गया, वहीं शहरी क्षेत्रों में झुग्गियों को बेरहमी से तोड़ा गया और हजारों लोग बेघर हो गए, जिनके पुनर्वास पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

थरूर ने जोर देकर कहा कि आपातकाल केवल भारत के इतिहास का काला अध्याय नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी सीखों को गंभीरता से समझना और याद रखना चाहिए। उन्होंने लिखा, “लोकतंत्र कोई हल्की चीज नहीं है। यह एक अमूल्य विरासत है जिसे संभालकर रखना और सतत पोषित करना जरूरी है। आज का भारत 1975 के भारत से कहीं ज्यादा आत्मविश्वासी, विकसित और सशक्त है, लेकिन आपातकाल से मिले सबक आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।”

थरूर ने चेतावनी दी कि सत्ता के केंद्रीकरण, असहमति को कुचलने और संविधानिक प्रक्रियाओं को दरकिनार करने की प्रवृत्तियां समय-समय पर फिर से उभर सकती हैं — और अक्सर इन्हें “राष्ट्रीय हित” या “स्थिरता” के नाम पर उचित ठहराया जाता है। ऐसे में, आपातकाल लोकतंत्र के लिए एक स्थायी चेतावनी के रूप में याद किया जाना चाहिए और इसके रक्षकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

इस बयान के जरिए शशि थरूर ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि लोकतंत्र की रक्षा केवल विपक्ष ही नहीं, सत्ता पक्ष और राजनीतिक दलों के भीतर से भी होनी चाहिए — भले ही वह आलोचना अपनों की ही क्यों न हो।