दफ़्तर जिला जनसंपर्क अधिकारी, फ़ाज़िल्का
फ़ाज़िल्का, 12 सितंबर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Punjab Desk: कृषि विज्ञान केंद्र फ़ाज़िल्का, जो कि सीफ़ैट अबोहर में कार्यशील है, के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों डॉ. अरविंद कुमार अहलावत, डॉ. हरिंदर सिंह दहिया और डॉ. प्रकाश चंद गुर्जर ने किसानों के लिए नरमे (कपास) की चुगाई संबंधी महत्वपूर्ण सलाह जारी की है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि मौसम में नमी के कारण टिंडे (बोल्स) खुलने में कुछ देरी हो सकती है। इसलिए चुगाई तभी की जाए जब टिंडे पूरी तरह खुल जाएँ और पत्तियाँ झड़ने लगें। बरसात या धुंध के समय चुगाई से परहेज़ किया जाए।
उन्होंने कहा कि अमरीकी कपास की चुगाई हर 15-20 दिन के अंतराल पर और देसी कपास की चुगाई हर 8-10 दिन के बाद की जानी चाहिए। चुगाई के समय कपास को साफ जगह पर रखा जाए और इसमें पत्तियाँ न मिलने दी जाएँ। पहली और अंतिम चुगाई की उपज को अलग रखा जाए क्योंकि उसकी गुणवत्ता कम होती है जिससे अच्छे दाम मिलने में परेशानी हो सकती है।
इसके अतिरिक्त, पत्तियों, डंठलों, मिट्टी या कीटों से प्रभावित फसल को अलग रखा जाए। यदि कपास में हरी पत्तियाँ या अन्य अवशेष मिले होंगे तो उसका मूल्य कम हो जाता है। कपास को चुगने के बाद उसे दबाकर बोरी में न भरा जाए क्योंकि इससे गुणवत्ता प्रभावित होती है। खेत में चुगाई के बाद कपास को सीधे ज़मीन पर न रखा जाए बल्कि किसी चादर पर रखें और इसमें घास-फूस न मिलाएँ।
वैज्ञानिकों ने कहा कि चुगाई के बाद फसल के अवशेष (छटियाँ) खेत में ही नष्ट कर दी जाएँ ताकि अगले वर्ष गुलाबी सुंडी का खतरा कम हो सके।
अधिक जानकारी के लिए किसान कृषि विज्ञान केंद्र फ़ाज़िल्का (सीफ़ैट अबोहर) के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों से संपर्क कर सकते हैं।