18 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Business Desk : सोने की बढ़ती मांग ने बिगाड़ा देश का आर्थिक गणित, रिकॉर्ड इंपोर्ट से बढ़ी GDP पर चिंता अक्टूबर में देश में सोने की मांग ने नया रिकॉर्ड बना दिया, जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था और फिस्कल बैलेंस पर दिखाई दे रहा है। त्योहारों और शादी के सीजन में गोल्ड की मांग बढ़ने के कारण भारत का सोने का आयात करीब तीन गुना बढ़कर 14.72 अरब डॉलर के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया। पिछले साल अक्टूबर में यही आंकड़ा 4.92 अरब डॉलर था।
विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा में सोने का आयात देश के व्यापार घाटे और अर्थव्यवस्था की सेहत पर दबाव डाल सकता है, क्योंकि इस वर्ष गोल्ड इंपोर्ट पहले ही रिकॉर्ड स्तर पर है, जबकि सोने की कीमतें भी ऑल-टाइम हाई पर बनी हुई हैं।
गोल्ड इंपोर्ट ने बनाया रिकॉर्ड, झटका व्यापार घाटे को
कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-अक्टूबर 2025 के दौरान गोल्ड इंपोर्ट 21.44% बढ़कर 41.23 अरब डॉलर हो गया। इससे व्यापार घाटा भी बढ़कर 41.68 अरब डॉलर का रिकॉर्ड स्तर छू गया।
दिल्ली में सोने की कीमतें इन दिनों 1.29 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास हैं।
कहाँ से आया सबसे ज्यादा सोना?
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के अनुसार, मांग बढ़ने की वजह से ज्यादातर गोल्ड स्विट्जरलैंड, UAE और दक्षिण अफ्रीका से आयात किया गया।
स्विट्जरलैंड से इंपोर्ट: 403% की भारी बढ़त
UAE: 16% से अधिक हिस्सा
दक्षिण अफ्रीका: लगभग 10% हिस्सा
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड कंज्यूमर है, और अधिकतर सोना ज्वेलरी उद्योग की मांग को पूरा करता है। हालांकि, इसी अवधि में रत्न एवं आभूषण का निर्यात 29.5% घटकर 2.3 अरब डॉलर रह गया।
चालू खाता घाटा घटा, लेकिन दबाव बरकरार
अप्रैल-जून 2025 में भारत का चालू खाता घाटा (CAD) घटकर GDP का 0.2% (2.4 अरब डॉलर) रह गया, जबकि पिछले वर्ष यही आंकड़ा GDP का 0.9% (8.6 अरब डॉलर) था। सेवा निर्यात बढ़ने से CAD में सुधार हुआ है, लेकिन बढ़ते गोल्ड इंपोर्ट से आगे चलकर दबाव बढ़ सकता है।
चांदी के आयात में भी जबरदस्त उछाल
अक्टूबर 2025 में चांदी का आयात 528% बढ़कर 2.71 अरब डॉलर हो गया। चांदी का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो, फार्मा जैसे उद्योगों में बड़े पैमाने पर होता है।
क्यों बढ़ी गोल्ड की भूख?
त्योहार और शादियों का सीजन
निवेशकों की सेफ हेवन में दिलचस्पी
कीमतें ऊँची होने के बावजूद भाव और बढ़ने की आशंका
रिकॉर्ड इंपोर्ट से देश की आर्थिक सेहत पर चिंता बढ़ गई है, क्योंकि इससे व्यापार घाटा, फॉरेन आउटफ्लो और फिस्कल बैलेंस पर असर पड़ सकता है।













