निवेशकों को राहत: IPO आवंटन पर SEBI ने लिया बड़ा यू-टर्न

निवेशकों को राहत: IPO आवंटन पर SEBI ने लिया बड़ा यू-टर्न

19 अगस्त 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Business Desk: IPO निवेशकों को राहत: SEBI ने बदला फैसला, 35% रिटेल कोटा रहेगा बरकरार              भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने IPO में रिटेल निवेशकों के कोटे को घटाने के अपने प्रस्ताव को वापस ले लिया है। अब भी रिटेल निवेशकों के लिए IPO में 35% हिस्सा रिज़र्व रहेगा।

क्या था SEBI का पुराना प्लान?                                                                                                31 जुलाई 2025 को जारी अपने कंसल्टेशन पेपर में SEBI ने सुझाव दिया था कि 5,000 करोड़ रुपये से बड़े IPO में रिटेल निवेशकों का कोटा 35% से घटाकर 25% किया जाए। इसके साथ ही क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) का हिस्सा 50% से बढ़ाकर 60% करने का प्रस्ताव था।
हालांकि, इस कदम का निवेशकों और मार्केट से जुड़े कई लोगों ने विरोध किया। उनका कहना था कि रिटेल सब्सक्रिप्शन के आंकड़ों के आधार पर कोटा घटाना सही नहीं है। IPO प्राइसिंग और अन्य फैक्टर्स पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

SEBI का नया निर्णय                                                                                                            विरोध और सुझावों पर विचार करने के बाद अब SEBI ने साफ कर दिया है कि रिटेल निवेशकों का 35% कोटा घटाया नहीं जाएगा। SEBI ने कहा कि वह इस विषय पर सभी हितधारकों की राय पर गौर करेगा और रिटेल कोटे में बदलाव की बजाय अन्य विकल्पों पर काम करेगा।

म्यूचुअल फंड्स को बढ़ेगा फायदा                                                                                              SEBI ने यह भी माना कि म्यूचुअल फंड्स के जरिए रिटेल निवेशकों की अप्रत्यक्ष भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। फिलहाल QIB कैटेगरी में म्यूचुअल फंड्स को 5% आरक्षण मिलता है। SEBI ने प्रस्ताव दिया है कि इसे बढ़ाकर 15% किया जाए, ताकि रिटेल निवेशकों का प्रतिनिधित्व और मजबूत हो सके।

बड़ी कंपनियों के लिए नई छूट                                                                                                SEBI ने सोमवार को एक और कंसल्टेशन पेपर जारी किया, जिसमें कहा गया कि 50,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक मार्केट कैप वाली कंपनियों को IPO में कम हिस्सेदारी के साथ लिस्टिंग की अनुमति दी जा सकती है। इसके अलावा, ऐसी कंपनियों को न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) नियम पूरे करने के लिए ज्यादा समय मिलेगा।