फाजिल्का, 19 दिसंबर 2025 Fact Recoder
Punjab Desk : डिप्टी कमिश्नर श्रीमती अमरप्रीत कौर संधू ने बताया कि जिला फाजिल्का में 0 से 18 वर्ष तक के अनाथ, बेसहारा अथवा दिव्यांग बच्चों के लिए चलाए जा रहे किसी भी बाल गृह या अनाथालय का जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धारा 41(1) के अंतर्गत पंजीकृत होना अनिवार्य है। यदि कोई बाल गृह या अनाथालय इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत नहीं पाया जाता है, तो उस बाल गृह के संचालक के विरुद्ध जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धारा 42 के अनुसार कार्रवाई की जाएगी, जिसमें 1 वर्ष की सजा या 1 लाख रुपये का जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के अनुसार कोई भी बाल गृह, चाहे वह सरकारी या गैर-सरकारी संस्था द्वारा संचालित हो, जहां 0 से 18 वर्ष तक के अनाथ, बेसहारा या दिव्यांग बच्चों के रहने, खाने-पीने और देखभाल की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है, चाहे वह सरकार से अनुदान प्राप्त करता हो या नहीं, उसका धारा 41(1) के अंतर्गत पंजीकरण होना आवश्यक है।
सरकारी या गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा पंजीकरण के लिए संबंधित जिले के डिप्टी कमिश्नर को जुवेनाइल जस्टिस (बच्चों की सुरक्षा और देखभाल) मॉडल नियम 2016 के फॉर्म-27 (नियम 21(2) और 22(2)) के अंतर्गत आवेदन पत्र देना होगा। जिला स्तर पर निरीक्षण के उपरांत डिप्टी कमिश्नर, फाजिल्का की सिफारिश के माध्यम से पंजीकरण के लिए मामला राज्य सरकार को भेजा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान राज्य सरकार द्वारा 6 महीने के लिए अस्थायी (प्रोविजनल) पंजीकरण किया जाता है।
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि जिला फाजिल्का में वर्तमान में केवल छाया अनाथ आश्रम आलमगढ़, उद्भव आवास अबोहर और स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी फाजिल्का ही संचालित हैं। इनके अलावा कोई भी अन्य बाल गृह या अनाथालय नहीं चल रहा है।
उन्होंने अपील की कि यदि कोई बाल गृह या अनाथालय संचालित कर रहा है, तो इसकी सूचना तुरंत जिला बाल संरक्षण कार्यालय, फाजिल्का, कमरा नंबर 405, तीसरी मंजिल, ए-ब्लॉक, जिला प्रशासनिक परिसर, फाजिल्का में दी जाए। साथ ही जिन गैर-सरकारी संस्थाओं का पंजीकरण नहीं हुआ है, वे अपना आवेदन पत्र जिला बाल संरक्षण कार्यालय में जमा करवाएं।













