16 अगस्त 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
National Desk: किश्तवाड़ त्रासदी: चेतावनियों के बावजूद नहीं रोकी गई यात्रा, 60 मौ*तों ने खड़े किए बड़े सवाल जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के चिशोती गांव में आई तबाही ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। यहां 14 अगस्त की दोपहर आई बाढ़ और मलबे की चपेट में आकर अब तक 60 लोगों की मौ*त हो चुकी है, 100 से अधिक लोग घायल हैं और 60 से 70 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। राहत और बचाव अभियान तीसरे दिन भी जारी है।
रेड अलर्ट के बावजूद जारी रही यात्रा
चिशोती हादसा कई सवाल खड़े कर रहा है। मौसम विभाग ने 8 अगस्त से ही भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की चेतावनियां जारी की थीं। 13 और 14 अगस्त के लिए तो रेड अलर्ट भी घोषित किया गया था। इसके बावजूद वार्षिक मचैल माता यात्रा को स्थगित नहीं किया गया और हादसे के समय मार्ग पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मौजूद थी। अचानक आए पानी और मलबे से लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला।
तबाही का मंजर
आपदा में एक अस्थायी बाज़ार, लंगर स्थल और सुरक्षा चौकी पूरी तरह नष्ट हो गए। 16 घर, तीन मंदिर, कई सरकारी इमारतें, एक 30 मीटर लंबा पुल और एक दर्जन से अधिक वाहन बाढ़ की चपेट में आ गए।
वैज्ञानिकों की राय
मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के निदेशक डॉ. मुख्तियार अहमद ने बताया कि डॉप्लर रडार और सैटेलाइट डेटा से घटना से ठीक पहले सीमित क्षेत्र में भारी बारिश दर्ज हुई, जिससे बादल फटने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि यह आपदा पहाड़ी ढलान पर लैंडस्लाइड या ग्लेशियर टूटने से भी हो सकती है।
हर साल बढ़ रहा खतरा
जम्मू-कश्मीर में 2010 से 2022 के बीच बादल फटने की 168 घटनाएं दर्ज हुई हैं। यानी प्रदेश में औसतन हर साल 13 ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनका सबसे ज्यादा असर किश्तवाड़, अनंतनाग, गांदरबल और डोडा ज़िलों में देखा गया है। विशेषज्ञों ने पहले ही चेताया था कि किश्तवाड़ जिले में मौजूद ग्लेशियर निर्मित झीलें भविष्य में बड़ी आपदाओं का कारण बन सकती हैं।
बचाव अभियान
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और वायुसेना की टीमें राहत कार्यों में लगी हैं। लापता लोगों की तलाश जारी है और प्रभावित ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
यह त्रासदी साफ कर गई कि लगातार मिल रही चेतावनियों और रेड अलर्ट को गंभीरता से न लेना ही इस बड़ी तबाही की सबसे बड़ी वजह बनी।