राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उनका असली नाम जतिन खन्ना था। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1966 में फिल्म ‘आखिरी खत’ से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन उन्हें असली पहचान 1969 में रिलीज़ हुई ‘आराधना’ से मिली। इसके बाद ‘आनंद’, ‘कटी पतंग’, ‘हाथी मेरे साथी’, और ‘बावर्ची’ जैसी फिल्मों ने उन्हें एक के बाद एक सुपरहिट स्टार बना दिया। 1969 से 1971 के बीच उन्होंने लगातार 15 सुपरहिट फिल्में दीं, जो आज भी एक रिकॉर्ड मानी जाती हैं। उनके डायलॉग्स और गाने आज भी लोगों की यादों में बसे हुए हैं।
हालांकि काका का फिल्मी सफर जितना चमकदार था, उतना ही उनके सेट के किस्से भी मशहूर रहे। कहा जाता है कि राजेश खन्ना को देर से सेट पर पहुंचने की आदत थी। ‘आखिरी खत’ की शूटिंग के दौरान जब सुबह 8 बजे का समय तय था, वे 11 बजे पहुंचे, जिस पर उन्हें डांट भी पड़ी। लेकिन उनका जवाब था, “मैं अपनी लाइफस्टाइल किसी के लिए नहीं बदलूंगा।”
एक बार श्रीनगर में बी.आर. चोपड़ा ने शूटिंग के लिए सेट लगाया और राजेश खन्ना का इंतज़ार करते रहे। तीन दिन तक उनका कोई अता-पता नहीं था, फिर उनका बावर्ची बिज़नेस क्लास में श्रीनगर पहुंचा और बताया कि “काकाजी की तबीयत ठीक नहीं है।” इस पर पूरी यूनिट निराश हो गई।
साल 1972 में फिल्म ‘बावर्ची’ की शूटिंग के दौरान राजेश खन्ना और नवोदित अभिनेता अमिताभ बच्चन के बीच कथित तौर पर तनाव हो गया। कहा जाता है कि काका ने अमिताभ का मज़ाक उड़ाया, जिससे नाराज होकर जया भादुरी (बाद में अमिताभ की पत्नी) ने उन्हें जवाब दे डाला।
राजेश खन्ना के प्रशंसकों की दीवानगी का आलम ये था कि जब वे अपनी सफेद कार में स्टूडियो पहुंचते, तो लड़कियां उनकी कार को चूम लिया करती थीं। लिपस्टिक के निशानों से कार गुलाबी नजर आती थी। ‘आराधना’ के गाने ‘मेरे सपनों की रानी’ की शूटिंग के दौरान शर्मिला टैगोर सेट पर नहीं आ सकीं, तो उनका हिस्सा स्टूडियो में शूट किया गया और बाद में दोनों फुटेज को जोड़ दिया गया। नतीजा: एक आइकॉनिक गाना जो आज भी लोगों के दिलों में बसा है।
उनके आत्मविश्वास का एक और किस्सा खूब चर्चित है। एक निर्माता ने जब उनसे कहा, “काका, घड़ी देख रहे हो?” तो उन्होंने जवाब दिया, “हम नहीं, घड़ी हमारा टाइम देखती है।” यह उनकी स्टार पावर का प्रतीक था, हालांकि इसे घमंड भी कहा गया।
राजेश खन्ना की शादी 1973 में अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया से हुई थी, जिनकी उम्र तब महज 16 साल थी। उनके दो बेटियां हुईं—ट्विंकल खन्ना और रिंकी खन्ना।
18 जुलाई 2012 को लंबी बीमारी के बाद मुंबई में उनका निधन हो गया। भले ही काका आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका जादू, उनका अंदाज और उनकी फिल्में सदा अमर रहेंगी। वे न सिर्फ एक अभिनेता थे, बल्कि एक पूरा दौर थे, जिसने हिंदी सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।