28 June 2025 Factrecorder
ओडिशा के पवित्र शहर पुरी में विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा की भव्यता आज अपने चरम पर है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को लाखों श्रद्धालुओं ने खींचा। यह यात्रा श्रीमंदिर से शुरू होकर लगभग 2.6 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जिसे भगवान की मौसी का घर माना जाता है।
सुबह साढ़े 9 बजे शुरू हुई इस यात्रा में “जय जगन्नाथ” और “हरी बोल” के गगनभेदी नारों ने पूरे पुरी शहर को भक्ति के रंग में रंग दिया। इस पावन यात्रा में ओडिशा के राज्यपाल हरी बाबू कंभमपति और मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भी भाग लिया और रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त किया।
तीनों रथों की विशेषताएँ:
- तालध्वज: भगवान बलभद्र का रथ, जो सबसे पहले आगे बढ़ा।
- दर्पदलन: देवी सुभद्रा का रथ, जो दूसरे स्थान पर चला।
- नंदीघोष: भगवान जगन्नाथ का रथ, जो अंतिम रूप से रवाना हुआ।
तीनों रथों को रंग-बिरंगे लकड़ी के घोड़ों से सजाया गया था। साथ ही झांझ, मंजीरे, तूरही और शंखध्वनि से वातावरण गूंज उठा।
आपातकालीन स्थिति: अत्यधिक भीड़ के चलते करीब 625 श्रद्धालु घायल हो गए। कुछ लोगों को दम घुटने की शिकायत पर अस्पताल ले जाया गया। सूर्यास्त के बाद रथ नहीं खींचे जाते, इसलिए शाम को यात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया गया।
धार्मिक अनुभूति: आध्यात्मिक गुरु जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, “मैंने भगवान जगन्नाथ के दिव्य दर्शन किए। वे स्वयं अपने भक्तों को दर्शन देने मंदिर से बाहर आते हैं। सभी भक्तों को मेरा आशीर्वाद है।”
आगामी 9 दिन भगवान जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर में विश्राम करेंगे और 5 जुलाई को पुनः श्रीमंदिर लौटेंगे।