6 March 2025: Fact Recorder
पंजाब में किसानों और सरकार के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। वहीं सरकार भी अपनी बात पर कायम है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।
पंजाब के किसानों ने 5 मार्च को चंडीगढ़ कूच का आहवान किया था। यह कूच संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के एक हफ्ते के प्रदर्शन के आह्वान पर हुआ। लेकिन पंजाब पुलिस ने किसानों को चंडीगढ़ में घुसने नहीं दिया। पुलिस ने कई जगहों पर किसानों को रोका। इस वजह से ज्यादातर प्रदर्शनकारी अपने जिलों तक ही सीमित रह गए। बुधवार को ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और दूसरे वाहनों से किसान चंडीगढ़ की ओर बढ़े थे। उन्हें अलग-अलग राजमार्गों पर रोक दिया गया।
चंडीगढ़ पुलिस ने भी चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर बैरिकेड्स लगा दिए थे। ऐसा प्रदर्शनकारी किसानों को शहर में घुसने से रोकने के लिए किया गया था। इन जगहों पर सुरक्षा भी बढ़ा दी गई थी। पुलिस वाले गाड़ियों, खासकर बसों की जांच कर रहे थे। कई किसान यूनियन के प्रतिनिधियों को हिरासत में लिया गया और बाद में रिहा कर दिया गया। जोगिंदर सिंह उगराहन भी इनमें शामिल थे। एसकेए ने भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार की कड़ी निंदा की। उन्होंने उगराहन, बलबीर सिंह राजेवाल और रुलदू सिंह मानसा जैसे बुजुर्ग यूनियन प्रतिनिधियों को हिरासत में लेने पर आप सरकार को आड़े हाथों लिया।
35 से ज्यादा जगहों पर सड़कों पर प्रदर्शन
एसकेएम ने कहा कि हजारों किसानों ने 35 से ज्यादा जगहों पर सड़कों पर प्रदर्शन किया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पुलिस ने उन्हें चंडीगढ़ जाने से रोका था। उनका दावा है कि राज्य भर में 15,000 से ज्यादा किसान विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। यह सब पिछले दिन लगभग 350 किसान कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और नज़रबंदी के बावजूद हुआ।
धरनों का राज्य बनाने का आरोप
इस पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने किसान संगठनों पर पंजाब को धरनों का राज्य बनाने का आरोप लगाया। इसके जवाब में एसकेएम ने कहा कि किसानों ने सड़क या रेल यातायात को अवरुद्ध नहीं किया। चंडीगढ़ और राज्य भर में यातायात बाधित किसानों के संघर्ष के कारण नहीं था। यह पंजाब पुलिस और प्रशासन द्वारा लगाए गए अनुचित प्रतिबंधों के कारण था। इस बीच किसान मजदूर मोर्चा ने पुलिस की कार्रवाई के विरोध में अमृतसर में पंजाब के मुख्यमंत्री के पुतले जलाए।