28 सितंबर 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
National Desk: पीएम मोदी ने किया आईआईटी जम्मू के फेज-बी का वर्चुअल शिलान्यास, उत्तर भारत को मिलेगा पहला रिसर्च पार्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वर्चुअल माध्यम से आईआईटी जम्मू के चरण-बी (Phase-B) विस्तार का शिलान्यास किया। यह कदम संस्थान की क्षमता और आधुनिक सुविधाओं के विस्तार की दिशा में एक अहम पड़ाव माना जा रहा है।
संस्थान की बढ़ती क्षमता
2016 में स्थापित आईआईटी जम्मू तीसरी पीढ़ी के आईआईटी में शामिल है। अब इसका विस्तार नए शैक्षणिक भवनों, प्रयोगशालाओं, आवासीय ढांचे और रिसर्च पार्क के साथ किया जाएगा। इस चरण की अनुमानित लागत 1,398 करोड़ रुपये है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह समारोह में मौजूद रहे। उन्होंने आईआईटी जम्मू को “नवाचार और स्टार्टअप्स का उभरता केंद्र” बताया।
रिसर्च पार्क: उत्तर भारत में पहली पहल
इस विस्तार के तहत बनने वाला रिसर्च पार्क उत्तर भारत का पहला होगा। इसे आईआईटी मद्रास की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। यह उद्योग-अकादमिक सहयोग को मजबूत करेगा, स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगा और तकनीक-आधारित समाधान के जरिए एमएसएमई क्षेत्र की मदद करेगा।
उपलब्धियां और प्रगति
मंत्री ने बताया कि आईआईटी जम्मू ने 2025 एनआईआरएफ इंजीनियरिंग रैंकिंग में 56वां स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि संस्थान की तेज प्रगति को दर्शाती है।
आईआईटी जम्मू की खासियत इसका स्थान भी है, जहां यह एम्स, आईआईएम जम्मू और जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के बीच स्थित है, जिससे सहयोगी और अंतःविषय शोध को बढ़ावा मिलता है।
पांच आईआईटी के विस्तार को मंजूरी
सरकार ने तिरुपति, भिलाई, धारवाड़, जम्मू और पलक्कड़ – इन पाँच नए आईआईटी के विस्तार को भी मंजूरी दी है। इस परियोजना पर 11,828 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अगले चार वर्षों में इन संस्थानों की कुल क्षमता लगभग 12,000 छात्रों तक बढ़ाई जाएगी और नए संकाय पदों का सृजन होगा।
चुनौतियों से सफलता तक
मंत्री ने बताया कि शुरुआती वर्षों में आईआईटी जम्मू को नेतृत्व और संकाय नियुक्तियों में चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन निदेशक मनोज सिंह गौर और उनकी टीम के प्रयासों से संस्थान ने बाधाओं को पार कर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई।
जम्मू-कश्मीर के लिए बड़ा कदम
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में लगातार विकास कार्य हो रहे हैं। आईआईटी जम्मू का विस्तार न केवल शिक्षा और अनुसंधान को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर नवाचार का केंद्र भी बनाएगा।













