गंगा और यमुना नदियों का खौफनाक रूप देखकर लोग सहमे, 1978 का पुराना रिकॉर्ड टूटने का खतरा

गंगा और यमुना नदियों का खौफनाक रूप देखकर लोग सहमे, 1978 का पुराना रिकॉर्ड टूटने का खतरा

04 अगस्त 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

National Desk: गंगा-यमुना का विकराल रूप: खतरे के निशान को पार कर बाढ़ ने मचाई तबाही, शिविरों में राहत नहीं, प्रशासन अलर्ट पर                                                                                                प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों ने अपना विकराल रूप धारण कर लिया है। दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान 84.734 मीटर को पार कर सोमवार सुबह 86 मीटर से भी ऊपर पहुंच गया, और लगातार बढ़ रहा है। यह स्थिति अब बेहद भयावह होती जा रही है। शहर के निचले कछारी इलाकों के साथ-साथ कई पॉश कॉलोनियां भी बाढ़ की चपेट में आ गई हैं। यदि यही स्थिति रही तो 1978 में दर्ज जलस्तर का रिकॉर्ड जल्द ही टूट सकता है। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार, गंगा नदी फाफामऊ में 88.390 मीटर और यमुना नैनी में 87.990 मीटर तक पहुंच चुकी थीं। रविवार रात तक गंगा का जलस्तर 85.87 मीटर और यमुना का 85.82 मीटर रिकॉर्ड किया गया, और अगले दो दिनों तक जलस्तर में और बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है।

इस खतरनाक स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने 13 राहत शिविर स्थापित किए हैं। हालांकि इन शिविरों में अव्यवस्थाएं सामने आ रही हैं। कई जगहों पर शरणार्थियों को सुबह का नाश्ता और दोपहर का भोजन समय पर नहीं मिल पाया। महबूब अली इंटर कॉलेज में 250 से अधिक शरणार्थियों के लिए सिर्फ 75 पैकेट नाश्ता पहुंचा, जबकि भोजन भी शाम पांच बजे तक नहीं पहुंचा था। यही हाल अन्य शिविरों—जैसे सेंट जोसेफ गर्ल्स विंग और एनी बेसेंट स्कूल—में भी देखने को मिला। शिकायतों के बाद तहसीलदार और प्रशासनिक अधिकारियों ने शिविरों का दौरा किया और एजेंसियों को नोटिस जारी किए गए। खाद्य आपूर्ति एजेंसी को बदलने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

बाढ़ की भयावहता को देखते हुए एनडीआरएफ और सीडीआरएफ की टीमें सक्रिय हो चुकी हैं। प्रशासन ने 30 नावें चलवाई हैं, जबकि 10 अतिरिक्त नावों को तैयार रखा गया है। पार्षदों और क्षेत्रीय प्रभावी लोगों को एनडीआरएफ, लेखपालों और नाविकों के संपर्क नंबर दिए गए हैं ताकि आपात स्थिति में लोगों तक मदद पहुंच सके। शनिवार शाम तक हजारों परिवारों को राहत शिविरों या सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक 7436 लोग शिविरों में और इतने ही अन्य लोग सुरक्षित स्थानों पर रह रहे हैं।

बाढ़ की वजह से बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हुई है। शहर के निचले इलाकों में 11 ट्रांसफॉर्मर एहतियातन बंद कर दिए गए हैं, जबकि ऊंचाई वाले मकानों में दूसरे ट्रांसफॉर्मर से बिजली पहुंचाई जा रही है। राजापुर, दारागंज, म्योराबाद, गंगानगर, करेली और छोटा बघाड़ा जैसे इलाकों में बाढ़ का पानी घरों के पहले तल तक पहुंच गया है। मुख्य अभियंता राजेश कुमार ने बताया कि यमुना बैंक रोड उपकेंद्र तक पानी पहुंच गया है और यदि जलस्तर और बढ़ा तो गऊघाट उपकेंद्र से आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।

शहर के जिन मोहल्लों और गांवों में बाढ़ का असर सबसे ज्यादा है, उनमें राजापुर, गंगानगर, बेली कछार, शिवकुटी, करैली, म्योराबाद, और सराय मौज शामिल हैं। साथ ही फूलपुर, मेजा, बारा, करछना, सोरांव, हंडिया तहसीलों के 60 से अधिक गांव भी बुरी तरह प्रभावित हैं।

हालात गंभीर होते जा रहे हैं और प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती राहत कार्यों को तेज करना और शिविरों में रह रहे लोगों को बुनियादी सुविधाएं समय पर उपलब्ध कराना है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर जलस्तर की बढ़ोत्तरी का यही रुझान जारी रहा, तो प्रयागराज 1978 के बाढ़ रिकॉर्ड को भी पार कर सकता है।