महाराष्ट्र के सरकारी पाठ्यक्रम में शामिल हुई पवन चौहान की बाल कविता

15 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

Himachal Desk: महाराष्ट्र के सरकारी पाठ्यक्रम में शामिल हुई हिमाचल के पवन चौहान की बाल कविता ‘पता करो जी’                                                                                                                        हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के महादेव गांव के साहित्यकार पवन चौहान की बाल कविता ‘पता करो जी’ को महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्माण एवं अभ्यासक्रम संशोधन मंडल, पुणे ने अपने सरकारी पाठ्यक्रम में शामिल किया है। यह कविता सत्र 2025-26 से महाराष्ट्र के सरकारी और निजी स्कूलों में पहली कक्षा की ‘बाल भारती’ हिंदी पाठ्यपुस्तक में पढ़ाई जाएगी।

यह उपलब्धि हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। कविता बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ अपने परिवेश और संस्कृति से जुड़ने की जानकारी भी प्रदान करती है। ‘बाल भारती’ पाठ्यपुस्तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं राष्ट्रीय पाठ्यचर्या प्रारूप 2023 को ध्यान में रखकर तैयार की गई है, जिसमें पहली कक्षा के बच्चों के लिए रुचिकर और जानकारीपूर्ण सामग्री शामिल है।

पवन चौहान की कविताएं और कहानियां पहले भी महाराष्ट्र के पाठ्यक्रम में शामिल हो चुकी हैं, जैसे उनकी बाल कहानी ‘अलग अंदाज में होली’ को सातवीं कक्षा में पढ़ाया जाता है।

पवन चौहान की अन्य शैक्षणिक उपलब्धियां
पवन चौहान कविता, कहानी, बाल कहानी और फीचर लेखन में सक्रिय हैं। उनकी कई रचनाएं हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई, वीवा एडुकेशन और अन्य विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। इनके साहित्यिक योगदान का समग्र प्रभाव हिमाचल के बाल साहित्य में महत्वपूर्ण माना जाता है।

अन्य उल्लेखनीय तथ्य
पवन चौहान शिक्षक भी हैं और उनकी कई रचनाओं का अनुवाद भारतीय भाषाओं के साथ नेपाली में भी हो चुका है। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय से उनके बाल कहानियों पर लघु शोध भी किया गया है। वे पर्यटन विषय पर भी नियमित लेखन करते रहे हैं।

प्रकाशित पुस्तकें
उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं:

‘किनारे की चट्टान’ (कविता संग्रह)

‘वह बिलकुल चुप थी’ (कहानी संग्रह)

‘भोलू भालू सुधर गया’ (बाल कहानी संग्रह)

‘हिमाचल का बाल साहित्य’ (शोध संदर्भ)

‘जड़ों से जुड़ाव’ (धरोहर संरक्षण)

‘फेगड़े का पेड़’ (सम्मानित कविता) आदि।

सम्मान
पवन चौहान को बाल साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें 2017 में ‘फेगड़े का पेड़’ कविता के लिए संपादकीय चयन सम्मान प्रमुख है।

यह उपलब्धि न केवल पवन चौहान के लिए, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश के साहित्यिक गौरव की मिसाल है।