29 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर
Lifestyle Desk: सोनाली अपनी दोस्त सोनिया से मिलने गई तो उसने देखा कि सोनिया का 10 साल का बेटा रोनित अपने सारे काम खुद कर रहा था। बिना किसी सलाह-मशवरे के उसने ऑनलाइन सामान मंगाया और सोनाली की अच्छे से सेवा की। सोनिया ने बताया कि वे रोनित को ‘पैसेंजर पेरेंटिंग’ के तहत पाल रहे हैं।
क्या है पैसेंजर पेरेंटिंग?
इस पेरेंटिंग स्टाइल में माता-पिता बच्चे के जीवन में कम दखल देते हैं और उसे अपने फैसले खुद लेने की पूरी आज़ादी देते हैं। जैसे यात्री बस में बैठा होता है लेकिन गाड़ी चलाने की जिम्मेदारी ड्राइवर की होती है, वैसे ही बच्चे अपनी जिंदगी की ‘ड्राइविंग’ खुद करते हैं और माता-पिता केवल मार्गदर्शक होते हैं। यह तरीका बच्चों को निर्णय लेने, अनुभव से सीखने और आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है।
नए पेरेंट्स में लोकप्रिय
यह पेरेंटिंग स्टाइल खासकर नए माता-पिता के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि यह उन्हें करियर और परिवार के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है। माता-पिता बच्चे को अपनी रफ्तार से सीखने देते हैं और जरूरत पड़ने पर मार्गदर्शन करते हैं। इससे बच्चे आत्मविश्वासी बनते हैं और माता-पिता अपनी प्रोफेशनल ज़िंदगी पर ध्यान दे पाते हैं।
पैसेंजर पेरेंटिंग के फायदे
बच्चे को फैसले लेने की आज़ादी मिलती है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है।
वे खुद समस्याओं को समझकर समाधान निकालना सीखते हैं।
सीमाओं की कमी से उनकी सोच और खोजने की क्षमता बढ़ती है।
यह बच्चों को जीवन के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण देता है और परिवार में संतुलन बनाए रखता है।
नुकसान भी हो सकते हैं
हालांकि, बच्चों को पूरी स्वतंत्रता देने से वे कभी-कभी सही और गलत का फर्क समझ नहीं पाते। माता-पिता अगर केवल गैजेट्स के माध्यम से ही संवाद करते हैं तो बच्चे उनसे भावनात्मक रूप से दूर हो सकते हैं और अकेलापन महसूस कर सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता अपनी भूमिका समझदारी से निभाएं।
बच्चा चालक और माता-पिता मैप
दिल्ली के मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान की क्लिनिकल साइकोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रेरणा शर्मा बताती हैं कि पैसेंजर पेरेंटिंग बच्चों में आत्मनिर्भरता का बीज बोती है, लेकिन सही तरीके से इसे अपनाना जरूरी है। माता-पिता को बच्चे के लिए मार्गदर्शक और सहारा बनकर साथ चलना चाहिए और उन्हें यह अहसास देना चाहिए कि वे हर वक्त सलाह, सहयोग और सुरक्षा के लिए मौजूद हैं। पेरेंटिंग एक बगीचे की तरह होती है जहां पौधे को बढ़ने की आज़ादी तो दी जाती है, लेकिन समय-समय पर देखभाल भी जरूरी होती है ताकि वह फल-फूल सके।
इस तरह, पैसेंजर पेरेंटिंग बच्चे और माता-पिता दोनों के लिए फायदे और चुनौतियां लेकर आती है, लेकिन संतुलित रूप से अपनाने पर यह बच्चे की स्वस्थ परवरिश में मददगार साबित हो सकती है।