निलंबन की जानकारी देते जिला उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा
हरियाणा के नूंह जिले के पुन्हाना तहसील कार्यालय के तत्कालीन रजिस्ट्री क्लर्क को जिला उपायुक्त द्वारा निलंबित किया गया है। क्लर्क द्वारा रजिस्ट्री के समय जमीन मालिक का आधार कार्ड का प्रयोग करते हुए अन्य व्यक्ति को खड़ा दस्तावेज तैयार किए गए थे। जिसके
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निलंबन अवधि के दौरान कर्मचारी एसडीएम कार्यालय नूंह में उपस्थिति रहेगा
उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने उप तहसील नगीना में कार्यरत पंजीकरण लिपिक मोहम्मद साजिद को विभागीय कार्यों में लापरवाही बरतने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है। उपायुक्त ने आदेशों में स्पष्ट किया है कि निलंबन के प्रथम छह माह के दौरान वह हरियाणा सिविल सेवा (सामान्य) नियमों के अंतर्गत निर्वाह भत्ते का हकदार होगा। इसके साथ ही उसे प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा कि निलंबन अवधि के दौरान वह किसी अन्य रोजगार या व्यवसाय से संलग्न नहीं होगा। निलंबन अवधि के दौरान कर्मचारी का मुख्यालय एसडीएम कार्यालय नूंह होगा। वह एसडीएम नूंह की पूर्व अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़े सकेगा तथा एसडीएम नूंह को अपनी उपस्थिति के लिए रिपोर्ट करेगा।
डीसी के आदेश पर एडीसी की जांच में पाया दोषी
जिला उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि पुन्हाना तहसील में एक फर्जी रजिस्ट्री का मामला मुख्यमंत्री के जन दरबार में पहुंचा था। मुख्यमंत्री के आदेश पर मामले की जांच अतिरिक्त उपायुक्त को सौंपी गई। जांच पाया गया कि किसी अन्य व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति का आधार कार्ड प्रयोग कर रजिस्ट्री कराई है। जांच में यह भी सामने आए कि जिस व्यक्ति ने जमीन की रजिस्ट्री कराई थी उस जमीन का उस व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं था। जांच में यह भी सामने आया कि तत्कालीन रजिस्ट्री क्लर्क जो अभी उप तहसील नगीना में कार्यरत था,उसने इस कार्य में लापरवाही बरती है। इसके बाद रजिस्ट्री कलर का मोहम्मद साजिद को सस्पेंड किया गया है। डीसी ने बताया कि इस मामले में और भी कर्मचारी व अधिकारी संलिप्त है, जिनके ऊपर विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा है। इसके साथ ही जो भी नंबरदार ,वकील और रजिस्ट्री लिखने वाले लोग इस फर्जीवाड़े में संलिप्त थे उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
तहसीलदार भी रडार पर
इस मामले में रजिस्ट्री करने में अहम भूमिका नायब तहसीलदार की होती है। वकीलों द्वारा तैयार किए गए रजिस्ट्री के दस्तावेज सबसे पहले मार्क होने के लिए रजिस्ट्री क्लर्क के पास जाते हैं। रजिस्ट्री क्लर्क उसमें यह जांच करता है कि दोनों पार्टी वास्तविक हैं या नहीं। दोनों पार्टियों से आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज भी लिए जाते हैं। रजिस्ट्री मार्क होने के बाद कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा नंबरदार को साथ लेकर जमीन खरीदने और बेचने वाले लोगों के फोटो किए जाते है।जिसके बाद रजिस्ट्री हस्ताक्षर के लिए तहसीलदार के पास जाती है। नायब तहसील द्वारा भी जमीन बेचने वाले व्यक्ति से पूछताछ की जाती है कि क्या वह अपनी जमीन अपनी मर्जी से बेच रहा है। उसके बाद ही फाइनल रजिस्ट्री पर नायब तहसील द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं। इस मामले में अब पुन्हाना नायब तहसीलदार भी जांच के दायरे में है। अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच हुई तो तहसीलदार पर भी गाज गिर सकती है।