निमिषा प्रिया ह*त्या केस: भारत आने पर जेल जाएगी या मिलेगी आज़ादी?

23 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

International Desk: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया पर यमन में ह*त्या का आरोप है और उसे फांसी की सजा सुनाई गई है। 16 जुलाई को उसकी फांसी होना तय था, लेकिन भारत सरकार और अन्य प्रयासों की वजह से फांसी टाल दी गई है। इस मामले में डॉक्टर केके पॉल ने दावा किया है कि निमिषा की रिहाई होगी और वह जल्द भारत वापस आ जाएगी। भारत की केंद्र सरकार विदेश मंत्रालय के जरिए निमिषा और उसके परिवार को हर संभव मदद दे रही है। यमन सरकार के साथ संपर्क बनाए रखकर भारत इस मामले में सक्रियता दिखा रहा है।

डॉ. केके पॉल और सरकार की कोशिशों की वजह से ही फांसी की सजा रोक पाई गई है, लेकिन यदि निमिषा भारत लौटती है, तो क्या उसे जेल में रहना पड़ेगा या वह आजाद घूमेगी, यह सवाल अभी भी कायम है।

क्या कहता है भारतीय कानून?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 208 के अनुसार, विदेशों में भारतीय नागरिकों द्वारा किए गए अपराधों पर भारत में भी मुकदमा चलाया जा सकता है। इसका मतलब है कि यदि निमिषा को दोषी पाया गया, तो उसे भारत में जेल हो सकती है। हालांकि, ऐसा कोई मुकदमा केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के बिना शुरू नहीं किया जा सकता।

यमन का दृष्टिकोण और अंतरराष्ट्रीय नियम
1966 के नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICCPR) ने मृत्युदंड के खिलाफ नियम बनाए हैं, वहीं 1989 का दूसरा प्रोटोकॉल मृत्युदंड को पूरी तरह खत्म करने का समर्थन करता है। लेकिन यमन ने इस प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, इसलिए वहां मृत्युदंड लागू रहता है।

वहीं, वैश्विक स्तर पर मृत्युदंड समाप्त करने वाले देशों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन भारत में यह अभी भी वैध है। भारत की सर्वोच्च अदालत ने ‘रेयर ऑफ द रेयर’ केस में मृत्युदंड को मान्यता दी है, जिसका मतलब है कि कुछ बेहद गंभीर अपराधों में ही यह सजा दी जाती है।

निमिषा के मामले में यमन में उसके पासपोर्ट छीन लेने जैसे कई गंभीर पहलू हैं, जो न्यायालय के समक्ष उसकी मदद कर सकते हैं और फांसी से बचा सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय कानून क्या कहता है?
अंतरराष्ट्रीय कानून क्षेत्रीय संप्रभुता को प्राथमिकता देता है, यानी हर देश अपने क्षेत्र में हुए अपराधों के लिए न्यायिक अधिकार रखता है, चाहे आरोपी उसका नागरिक हो या नहीं। भारत और यमन के बीच प्रत्यर्पण समझौता नहीं होने के कारण भारत के लिए निमिषा को वहां से लाना मुश्किल है।

मानवाधिकार कानून के तहत प्रवासियों को उत्पीड़न, यातना और भेदभाव से सुरक्षा दी जाती है। प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन मौजूद हैं, जैसे कि आवागमन की स्वतंत्रता और क्रूर व्यवहार से संरक्षण। लेकिन यमन ने इन कन्वेंशनों पर भी हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिससे निमिषा की स्थिति और जटिल हो जाती है।

निष्कर्ष
निमिषा प्रिया की यमन में फांसी की सजा टलने के पीछे भारत सरकार और डॉ. केके पॉल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हालांकि, अगर वह भारत लौटती है, तो उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया हो सकती है। इस मामले में अगले कदम और न्यायिक निर्णय काफी अहम होंगे, जो यह तय करेंगे कि निमिषा को जेल जाना पड़ेगा या वह आजाद रहेगी।