नूंह जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय की लापरवाही

 To protect wildlife in Punjab and to curb crimes related to it, under the directions issued by the Chief Wildlife Warden
RECORDER - 1

चंडीगढ़, 18 दिसंबर 2025 Fact Recorder

Chandigarh Desk –  हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने नूंह जिले से संबंधित एक मामले में आरटीएस समय-सीमा के उल्लंघन को गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्रवाई की है। नूंह निवासी शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्होंने संबंधित महिला एवं बाल विकास विभाग की योजना के तहत समय पर आवेदन किया, लेकिन निर्धारित आरटीएस अवधि के बावजूद उन्हें योजना का लाभ काफी देरी से प्रदान किया गया।

आयोग ने पाया कि योजना का लाभ लाभार्थी को छह माह से अधिक की देरी से प्रदान किया गया, जो आरटीएस अधिनियम की भावना के विपरीत है।

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि जांच में सामने आया कि आवेदन 25 जुलाई, 2024 को सरल पोर्टल पर जमा किया गया था, लेकिन आवश्यक यूनिक कोड समय पर जनरेट न होने के कारण लाभ का भुगतान 16 अप्रैल, 2025 को किया जा सका। डीपीओ, नूंह द्वारा बार-बार स्मरण पत्र भेजे जाने के बावजूद डब्ल्यूसीडीपीओ, नूंह-2 कार्यालय से यूनिक कोड समय पर जारी नहीं किया गया।

मामले की सुनवाई के दौरान आयोग ने सहायक की भूमिका को मुख्य रूप से देरी के लिए जिम्मेदार पाया। आयोग ने यह भी अवलोकन किया कि सुनवाई के दिन उनके आचरण से आधिकारिक कर्तव्यों के प्रति लापरवाही परिलक्षित हुई।

आयोग ने हरियाणा सेवा अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(ह) के तहत सहायक पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया है तथा शिकायतकर्ता को 5,000 रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। कुल 20,000 रुपये की राशि सहायक के वेतन से वसूल की जाएगी, जिसमें से 15,000 रुपये राज्य कोष में जमा होंगे और 5,000 रुपये शिकायतकर्ता को दिए जाएंगे।

आयोग ने डीपीओ, नूंह को आदेशों के अनुपालन की रिपोर्ट दस्तावेजी प्रमाण सहित प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, संबंधित अवधि में डब्ल्यूसीडीपीओ के प्रभार को लेकर स्थिति स्पष्ट करने और जिम्मेदार अधिकारी से स्पष्टीकरण प्राप्त कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश भी दिए गए हैं।

आयोग ने स्पष्ट किया कि दिव्यांग कोटे के अंतर्गत नियुक्ति होने के बावजूद सरकारी कर्मचारी की जिम्मेदारी है कि वह योजनाओं का लाभ समय पर पात्र लाभार्थियों तक पहुंचाए। अनावश्यक देरी किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है और भविष्य में ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी।