सरकारी एलिमेंट्री स्कूल पूरहीरां, होशियारपुर में मिड-डे मील जांच के दौरान पाई गई लापरवाहियाँ

सरकारी एलिमेंट्री स्कूल पूरहीरां, होशियारपुर में मिड-डे मील जांच के दौरान पाई गई लापरवाहियाँ

04 दिसंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर

Punjab Desk: पंजाब फूड कमीशन के सदस्य चेतन प्रकाश धारीवाल द्वारा सरकारी एलिमेंट्री स्कूल पूरहीरां, होशियारपुर का अचानक निरीक्षण किया गया। इस दौरान स्कूल में चल रही मिड-डे मील योजना की विशेष जांच की गई। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी एलिमेंट्री शिक्षा हरजिंदर कौर भी विशेष रूप से उपस्थित रहीं। निरीक्षण के दौरान मिड-डे मील व्यवस्था में कई गंभीर कमियाँ सामने आईं, जिन पर फूड कमीशन के सदस्य और जिला शिक्षा अधिकारी दोनों ने कड़ा संज्ञान लिया।
जांच के दौरान यह पाया गया कि स्कूल में विद्यार्थियों को मिड-डे मील समय पर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा था, जिससे स्पष्ट होता है कि भोजन वितरण व्यवस्था में लापरवाही बरती जा रही थी। इसके अलावा, मिड-डे मील परोसने की प्रणाली भी असंतोषजनक पाई गई। फूड कमीशन के सदस्य चेतन प्रकाश धारीवाल ने विशेष रूप से बर्तनों एवं रसोई की सफाई व्यवस्था पर नाराज़गी व्यक्त की। रसोईघर और भोजन परोसने वाले क्षेत्र में निर्धारित मानकों के अनुसार सफाई नहीं थी, जिसे बच्चों की सेहत के लिए गंभीर चिंता का विषय बताया गया।
जिला शिक्षा अधिकारी हरजिंदर कौर ने भी स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिए कि मिड-डे मील की व्यवस्थाओं में तत्काल सुधार किया जाए और सभी कार्य निर्धारित मानकों के अनुरूप ही किए जाएँ। उन्होंने कहा कि मिड-डे मील योजना बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है, और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
निरीक्षण के दौरान जिला मिड-डे मील इंचार्ज अनिरुद्ध मॉडगिल भी उपस्थित रहे, जिन्होंने फूड कमीशन के सदस्य को सभी व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी और मौजूद कमियों को तुरंत दूर करने का आश्वासन दिया।
फूड कमीशन द्वारा अपनाया गया यह सख्त रुख स्पष्ट करता है कि सरकार बच्चों की सेहत को लेकर बेहद गंभीर है और मिड-डे मील योजना में लापरवाही को किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा। निरीक्षण के बाद स्कूल प्रबंधन को लिखित निर्देश जारी करते हुए अगली जांच तक पूरी व्यवस्था सुधारने के आदेश दिए गए हैं।
इस जांच ने एक बार फिर यह याद दिलाया है कि मिड-डे मील योजना बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और पढ़ाई पर सीधा प्रभाव डालती है तथा इसकी निगरानी में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जानी चाहिए।