- कोई समाचार नहीं
- Jeevan mantra
- Dharm
- Navsamvat 2082 And Chaitra Navratri Starts Today, Chaitra Navratri Significance In Hindi, Easy Steps For Meditation, Jap Dhyan Kaise Kare
11 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

आज (30 मार्च) हिन्दी पंचांग के नववर्ष का पहला दिन है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी आज से नवसंवत 2082 और चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है। चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों में पूजा-पाठ, मंत्र जप के साथ ही मेडिटेशन भी करना चाहिए। मेडिटेशन करने से नकारात्मक विचार दूर होते हैं, मन शांत होता है और हमारा मन पूजा में, भक्ति में एकाग्र रहता है। नवरात्रि के दिनों में छोटी-छोटी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। कन्याओं को लाल चुनरी ओढ़ाएं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, एक साल में चार बार नवरात्रि आती है। इनमें दो नवरात्रि गुप्त होती हैं और दो सामान्य होती हैं। गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं के लिए साधना की जाती है। ये नवरात्रि माघ और आषाढ़ मास में आती है। दो सामान्य नवरात्रि आश्विन मास और चैत्र मास में आती हैं। इन दो नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है।
ऋतु परिवर्तन से जुड़ा है नवरात्रि का समय
नवरात्रि का समय ऋतु परिवर्तन से जुड़ा है। साल की चारों नवरात्रियां ऋतुओं के संधिकाल में मनाई जाती हैं। संधिकाल यानी एक ऋतु के जाने का और दूसरी ऋतु के आने का समय। चैत्र नवरात्रि के समय ठंड के खत्म होने का और गर्मी शुरू होने का रहता है। आश्विन मास की नवरात्रि के समय वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत ऋतु शुरू होती है। मौसम परिवर्तन के समय इन नवरात्रि में किए गए व्रत-उपवास से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं।
चैत्र नवरात्रि के दिनों ध्यान रखें ये बातें
इन दिनों में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नान के बाद घर के मंदिर में पूजा करें। पूजा के साथ ही मंत्र जप और ध्यान भी जरूर करें। सुबह-सुबह किए गए जप और ध्यान से ऊर्जा और उत्साह बना रहता है। आलस दूर रहता है। ध्यान करने से शरीर को स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं।
ऐसे कर सकते हैं देवी दुर्गा की पूजा
रोज सुबह सबसे पहले गणेश पूजा करें। इसके बाद देवी दुर्गा को जल चढ़ाएं। लाल फूल, लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं।
कुमकुम से तिलक करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। मंत्र जप करें। देवी मंत्रों का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
पूजा में देवी मंत्र दुं दुर्गायै नम:, मंत्र का जप कर सकते हैं। मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला की मदद से करना चाहिए।
पूजा करने वाले भक्त को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जप के लिए किसी ऐसी जगह का चयन करें, जहां शांति और पवित्रता हो। एकाग्र मन से किए गए जाप से सकारात्मक फल मिलते हैं।
पूजा में देवी मंत्रों का जप करें- हे शिव, सर्व-उद्देश्यपूर्ण, सर्व-उद्देश्यपूर्ण। हे गौरी, नारायनी, मैं आपको अपने आज्ञाकारिता की पेशकश करता हूं, जो सभी शरण का स्रोत हैं। ऊँ जयती मंगला काली भद्रकली कपालिनी। दुर्गा, क्षामा, शिव, धत्रि, स्वाहा, स्वाधा, मैं आपको अपने आज्ञाकारीता प्रदान करता हूं।

ये है मेडिटेशन करने की सरल विधि
- मेडिटेशन (ध्यान) करने के लिए एक शांत जगह चुनें।
- जमीन पर पालथी मारकर सीधे बैठें। अपनी रीढ़ सीधी रखें, लेकिन तनाव न लें।
- आंखें बंद करें और अपने पूरे शरीर को रिलैक्स करें।
- धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें। अपनी सांसों के प्रवाह को महसूस करें।
- अगर कोई विचार आए तो उसे रोकने की कोशिश न करें। बस उसे देखें और धीरे-धीरे ध्यान फिर से अपनी सांसों पर ले आएं।
- यदि आप चाहें तो ऊँ या कोई मंत्र जपें।
- कुछ देर ध्यान करने के बाद धीरे-धीरे आंखें खोल लें।