19 नवंबर, 2025 फैक्ट रिकॉर्डर
Punjab Desk: पंजाब में बाढ़ से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुआई में ‘मिशन चढ़दी कला’ तेजी से जन-जन तक पहुंच रहा है। यह सिर्फ एक राहत कार्यक्रम नहीं, बल्कि आपदा से टूटे परिवारों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है। अब तक 1,143 गांवों में सहायता पहुंचाई जा चुकी है और 35 करोड़ रुपये से अधिक राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजी गई—बिना किसी बिचौलिए के, बिना देरी के।
राहत वितरण की तेज गति
मिशन के तीसरे चरण में सिर्फ दो दिनों में 35 करोड़ रुपये वितरित किए गए। चौथे दिन अकेले 17 करोड़ रुपये और बांटे गए। अमृतसर, फाजिल्का, फिरोजपुर, गुरदासपुर, जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर, मानसा, संगरूर और एसबीएस नगर के लगभग 70 स्थानों पर राहत शिविर लगाए गए। विधायकों और कैबिनेट मंत्रियों ने स्वयं गांवों में जाकर मुआवजा वितरित किया।
जिलों में राहत पहुंचाने का विवरण
फिरोजपुर: 3,000 किसानों को ₹16.68 करोड़ की राहत।
डेरा बाबा नानक: 935 परिवारों को ₹3.71 करोड़ वितरित।
अजनाला: 1,330 किसानों को ₹5.86 करोड़।
आनंदपुर साहिब: 2.26 करोड़ रुपये की फसल राहत राशि।
सुल्तानपुर लोधी एवं कपूरथला: दो गांवों को 40 लाख रुपये।
धर्मकोट: 1,350 लोगों को ₹5.83 करोड़ के मंजूरी पत्र।
अमृतसर (लोपोके क्षेत्र): 26 लाख रुपये वितरित।
फाजिल्का: 1.57 करोड़ रुपये किसानों को।
तलवंडी साबो एवं मौड़: 380 पीड़ितों तक राहत पहुंचाई गई।
नेताओं के सीधे मैदान में उतरने से यह कार्यक्रम और प्रभावी बना है।
देश में सबसे ज्यादा मुआवजा: पंजाब सबसे आगे
पंजाब पहला राज्य बन गया है, जिसने बाढ़ पीड़ितों के लिए सबसे बड़ा राहत पैकेज घोषित किया है—
घर टूटने पर: ₹40,000
फसल नुकसान पर: ₹20,000 प्रति एकड़
दुधारू पशु पर: ₹37,500
गैर-दुधारू पशु पर: ₹32,000
बछड़े पर: ₹20,000
पोल्ट्री पक्षी पर: ₹100
हर नुकसान की भरपाई ईमानदारी से और तुरंत की जा रही है।
कॉर्पोरेट जगत भी आगे आया
L&T: ₹5 करोड़
Union Bank: ₹2 करोड़
जनता, निजी कंपनियां और बैंक सभी इस राहत कार्य में योगदान दे रहे हैं। सरकार हर रुपये का पूरा हिसाब सार्वजनिक कर रही है—पारदर्शिता इसका सबसे बड़ा आधार है।
“जिसदा खेत–उसदी रेत”: ऐतिहासिक कदम
देश में पहली बार किसी राज्य ने बाढ़ से भरी रेत को हटाने का अधिकार किसानों को दिया है।
अब किसान अपने खेतों से रेत निकालकर जमीन को दोबारा उपजाऊ बना सकेंगे—यह उनकी आत्मनिर्भरता का मजबूत माध्यम बनेगा।
लोगों की आँखों में उम्मीद लौट आई
कई किसानों और महिलाओं ने बताया कि सरकार की तेज मदद ने उनका जीवन फिर से पटरी पर ला दिया।
“तीन दिन में मुआवजा मिल गया… पहली बार किसी सरकार ने इतनी जल्दी सहायता दी।”
“मेरी दो भैंसें मर गई थीं, लेकिन मिले 75,000 रुपये से नई भैंस खरीद सकूंगी।”
ऐसी ही सैकड़ों कहानियाँ मिशन चढ़दी कला को एक जन-आंदोलन बना रही हैं।
‘चढ़दी कला’—अब भावना नहीं, हकीकत
सरकार की नीयत, पारदर्शिता और तेजी ने राहत प्रक्रिया को नए स्तर पर पहुंचाया है। मिशन चढ़दी कला ने साबित कर दिया है कि जब व्यवस्था ईमानदारी से काम करे, तो सबसे बड़े संकट को भी अवसर में बदला जा सकता है।
पंजाब में नई सुबह की शुरुआत—उम्मीद की, विश्वास की, और असली बदलाव की।













