पीएम मोदी को न्योता देकर ट्रूडो से अलग हुए मार्क कार्नी, क्या भारत-कनाडा रिश्तों की दूरियां होंगी कम?

07 जून 2025 फैक्टर रिकॉर्डर

International Desk:  मार्क कार्नी की नई नीति से सुधरते दिखे भारत-कनाडा संबंध, सिख उग्रवादियों को झटका कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के सत्ता में आते ही भारत-कनाडा संबंधों में नया मोड़ देखने को मिला है। पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उलट, कार्नी का रुख भारत को लेकर सकारात्मक और सहयोगात्मक नजर आ रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को G-7 समिट में आमंत्रण भेजकर यह साफ संकेत दे दिया कि अब दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघल सकती है। इससे सिख उग्रवादियों के हौसले भी कमजोर पड़े हैं, जो अब तक ट्रूडो की नरम नीति का लाभ उठाते आ रहे थे।

कश्मीर में रेल सेवा और भारत की तकनीकी सफलता
शुक्रवार को भारत के लिए तीन बड़ी खबरें आईं, जिन्होंने राष्ट्रीय मनोबल को नई ऊंचाई दी। पहली खबर कश्मीर से जुड़ी है, जहां प्रधानमंत्री मोदी ने कटरा से श्रीनगर के बीच वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। चिनाब नदी पर बना रेलवे आर्च पुल दुनिया का सबसे ऊंचा पुल बन गया है, जो एफिल टावर से भी ऊंचा है। यह पुल जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले की दो पहाड़ियों को जोड़ता है, जिससे घाटी अब सीधे भारत के रेल नेटवर्क से जुड़ गई है।

G-7 समिट में भारत को आमंत्रण
दूसरी बड़ी खबर कनाडा से आई, जहां अलबर्टा प्रांत में 15-17 जून को होने जा रहे G-7 सम्मेलन के लिए भारत को औपचारिक निमंत्रण मिल गया है। यह पिछले कुछ समय से प्रतीक्षित था और भारत विरोधी ताकतों को उम्मीद थी कि मोदी को बुलाया नहीं जाएगा। लेकिन मार्क कार्नी ने उन्हें झटका दिया और भारत से सहयोग बढ़ाने की मंशा दिखाई।

ट्रंप-मस्क विवाद और वैश्विक समीकरण
तीसरी खबर अमेरिका से जुड़ी है, जहां ट्रंप और एलन मस्क के बीच टकराव गहरा गया है। मस्क ने ट्रंप को न केवल हटाने की मांग की, बल्कि टेस्ला के निवेश और स्पेसएक्स सहयोग पर भी रोक लगा दी। मस्क की नाराज़गी के बीच, भारत समेत कई देश इस अस्थिरता में संभावनाएं देख रहे हैं। कनाडा भी अब ट्रंप की टैरिफ नीति से क्षुब्ध है और भारत जैसे नए साझेदार की ओर देख रहा है।

ट्रूडो की विरासत और सिख वोट बैंक
जस्टिन ट्रूडो के शासनकाल में भारत-कनाडा संबंध काफी बिगड़ गए थे। सिख समुदाय के वोट बैंक के चलते ट्रूडो ने अक्सर भारत के खिलाफ बयान दिए। चाहे वह किसान आंदोलन हो या खालिस्तानी गतिविधियां, ट्रूडो का रुख भारत विरोधी रहा। सितंबर 2023 में उन्होंने एक कनाडाई सिख निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया, जिससे संबंध और बिगड़ गए।

कार्नी की संतुलित और सहयोगी नीति
मार्क कार्नी ने 14 मार्च 2025 को प्रधानमंत्री पद संभालते ही साफ कर दिया कि वे भारत से सौहार्दपूर्ण संबंध चाहते हैं। वे अर्थव्यवस्था के जानकार हैं और टैरिफ युद्ध से निपटने के लिए भारत को रणनीतिक साझेदार मानते हैं। उनके नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने चुनाव जीता और उन्होंने अनिता आनंद को विदेश मंत्री बनाकर भारतीय समुदाय के प्रति विश्वास भी जताया।

सिख उग्रवाद पर सख्ती की उम्मीद
कार्नी के सत्ता में आते ही कनाडा में सक्रिय सिख उग्रवादी गुटों की चिंता बढ़ गई है। ट्रंप-मस्क झगड़े से पैदा हुए अंतरराष्ट्रीय समीकरणों के बीच कार्नी भारत के साथ गहराता सहयोग चाहते हैं। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी की अमेरिका यात्रा और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाकात इस दिशा में मजबूत संकेत माने जा रहे हैं।

भारत-कनाडा संबंधों में नया अध्याय
अब जब कनाडा के संवैधानिक प्रमुख किंग जॉर्ज ने भी कार्नी को भारत से बेहतर संबंध बनाने की सलाह दी है, तो यह साफ है कि ओटावा नई दिशा में कदम बढ़ा रहा है। पूर्व पीएम ट्रूडो जहां भारत के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करते रहे, वहीं कार्नी शांत, संतुलित और अर्थनीति आधारित विदेश नीति अपना रहे हैं।

निष्कर्ष:
मार्क कार्नी की अगुवाई में भारत और कनाडा के रिश्तों में नई शुरुआत की उम्मीद जगी है। उनके प्रगतिशील दृष्टिकोण से सिख उग्रवाद को मिलने वाला राजनीतिक संरक्षण कमजोर हो सकता है और द्विपक्षीय सहयोग के नए द्वार खुल सकते हैं।