पुलिस की वर्दी में रील बनाती आंचल।
हरियाणा में पकड़ी गई फर्जी लेडी सहायक सब इंस्पेक्टर (ASI) आंचल को कई महीनों से किसी ने गांव में नहीं देखा था। हालांकि उसके गांव के कई लोग उसे शहर में वर्दी में देख चुके थे। सोशल मीडिया पर वर्दी में उसकी रील्स देखकर गांववालों को यही लगा कि गांव की बेट
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गांव से पता चला कि आंचल को गांव के कई लोग पिहोवा चैत्र-चौदस मेला, बालापुर मेला, अरुणाय मेला और चंडीगढ़ में नवरात्रि मेले में पुलिस की वर्दी में ड्यूटी करते भी देख चुके थे। अपना इम्प्रेशन दिखाने के लिए उसने मेले में आए अपने गांव के लोगों की मदद करने का बहाना भी किया, मगर उसकी पोल खुली तो गांव के लोग दंग रह गए।
कनाडा जाना चाहती थी आंचल
उधर, गांव से यह भी पता चला कि आंचल पढ़ाई में काफी होशियार थी। B.Sc पास करने के बाद आंचल कनाडा जाना चाहती थी। हालांकि उसके परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि उसे कनाडा या विदेश भेज सकें। इसके लिए आंचल के घरवाले ऐसे लड़के की तलाश में थे, जो शादी करके उसे विदेश ले जाए।
1 महीने पहले हुई दोस्ती
निकटवर्ती गांव की महिला के मुताबिक, करीब 1 महीना पहले आंचल की दोस्ती उसकी बेटी के साथ हुई थी। उसकी बेटी गांधी नगर में दुकान पर सिलाई का काम सीखती थी। इस दुकान पर आंचल उसकी बेटी से मिली थी। उसके बाद से आंचल का उसके घर आना-जाना शुरू हो गया था। आंचल ने उनको बताया था कि वह पुलिस में है और उसकी ड्यूटी इस्माइलाबाद में है।
सहेली के घर रुकने लगी
आंचल कई बार रात को उनके घर पर रुक जाती थी। 18 अप्रैल को आंचल उनके घर पर रात को रुकी थी। सुबह करीब 8 बजे आंचल उसकी बेटी को सिलाई की दुकान पर छोड़कर खुद ड्यूटी पर जाने की बात कहकर उसकी बेटी को साथ ले गई थी। दोपहर को उसकी बेटी घर नहीं आई तो उसने दुकानदार को फोन किया, जिससे पता चला कि उसकी बेटी दुकान पर आई ही नहीं थी।
बैग से 2 वर्दियां बरामद
शक होने पर युवती की मां ने पुलिस को शिकायत दी। पुलिस ने आंचल को थाने में बुलाकर पूछताछ की तो उसकी पोल खुल गई। पुलिस ने उसके बैग की तलाशी ली तो उसके पास 2 पुलिस की वर्दियां मिलीं, जिसमें 1 वर्दी पर स्टार लगे हुए थे और हपु लिखा हुआ था। वर्दी पर हरियाणा पुलिस के बिल्ले लगे थे। 2 नेम प्लेट पर अंग्रेजी में ANCHAL लिखा था। इसके अलावा 4 तिरंगे वर्दी की जेब से मिले।
परिवार ने बनाई दूरी
गांव से पता चला कि आंचल के घर में उसकी छोटे बहन-भाई और माता-पिता रहते हैं। आंचल के पिता मेहनत-मजदूरी का काम करते हैं, जबकि उसके दादा मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते थे। इस मामले को लेकर उसके माता-पिता का कोई कमेंट नहीं आया। यहां तक कि पुलिस के बुलावे पर उसके माता-पिता आंचल की जमानत के लिए भी पेश नहीं हुए।
कद-काठी पर भी नहीं गया शक
आंचल करीब 1 साल तक पुलिस की वर्दी में घूमती रही। यहां तक कई मेले में उसने पुलिसकर्मियों के साथ ड्यूटी भी की, मगर आंचल उनकी पकड़ में नहीं आई। किसी ने उसके कम कद-काठी पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। आंचल पिहोवा होती तो अपनी ड्यूटी इस्माइलाबाद या केयूके थाने में बताती थी। इसी तरह दूसरे में उसे कुरुक्षेत्र का कोई पुलिस मुलाजिम मिलता तो उसे अपनी ड्यूटी अंबाला-कैथल बता देती थी।