बीमा सेक्टर की रफ्तार धीमी, वाहन बिक्री और कॉरपोरेट रिन्युअल में गिरावट बनी वजह

17 जुलाई 2025 फैक्टर रिकॉर्डर 

Business Desk: बीमा सेक्टर में मंदी: ऑटो बिक्री और कॉरपोरेट पॉलिसी नवीनीकरण में गिरावट बनी बड़ी वजह  भारत के बीमा उद्योग में हाल ही में मंदी के संकेत दिखे हैं।  रिपोर्ट के अनुसार ऑटोमोबाइल की बिक्री में गिरावट और कॉरपोरेट बीमा पॉलिसियों के नवीनीकरण में सुस्ती इसके प्रमुख कारण हैं। हालांकि थर्ड पार्टी (टीपी) प्रीमियम में हुई हालिया बढ़ोतरी से ऑटो बिक्री की कमजोरी का आंशिक रूप से असर कम हो सकता है।

बड़े बीमाकर्ताओं को मिल सकता है फायदा
रिपोर्ट के मुताबिक बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा लागू किए गए मैनेजमेंट एक्सपेंस (EoM) नियमों से मौजूदा बड़ी बीमा कंपनियों को फायदा मिल सकता है। ये नियम बीमा कंपनियों के लिए एक खर्च सीमा तय करते हैं जिससे वे अपने संचालन खर्चों को नियंत्रित रख सकें।

रिटेल हेल्थ बीमा में बढ़त, ग्रुप हेल्थ में स्थिरता
बीमा उद्योग में कुल वृद्धि की रफ्तार भले ही धीमी हो, लेकिन रिटेल हेल्थ सेगमेंट में सालाना 9.8% की बढ़त दर्ज की गई है। हालांकि ग्रुप हेल्थ बीमा में यह दर महज 0.1% रही, जिसका मुख्य कारण कॉरपोरेट पॉलिसियों का कम नवीनीकरण रहा। इसके अलावा लॉन्ग-टर्म हेल्थ पॉलिसियों की “वन-एनथ” मान्यता (1/n) के कारण संपूर्ण प्रीमियम एक ही साल में नहीं जोड़ा जाता, जिससे रिपोर्ट की गई वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम दिखती है।

मोटर बीमा क्षेत्र पर असर
कमजोर वाहन बिक्री के चलते मोटर बीमा क्षेत्र की विकास दर भी प्रभावित हुई है। जून 2025 में इस क्षेत्र की ग्रॉस डायरेक्ट प्रीमियम इनकम (GDPI) में सालाना 6.7% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि मई 2024 में यह दर 8.2% थी। थर्ड पार्टी बीमा में 8.1% और ओन डैमेज (OD) बीमा में 4.7% की वृद्धि देखी गई।

सार्वजनिक बीमा कंपनियों का प्रदर्शन मजबूत
सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों ने बाज़ार हिस्सेदारी पर कब्जा मजबूत किया है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में इनकी हिस्सेदारी बढ़कर 29.4% हो गई, जो साल दर साल 222 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी है। जून 2025 तक ओडी बीमा में इनकी वृद्धि 4.7% और टीपी बीमा में 18.8% दर्ज की गई।

अन्य बीमा क्षेत्रों की स्थिति
रिपोर्ट में कहा गया कि अग्नि बीमा क्षेत्र में 20.6% की वार्षिक वृद्धि देखी गई, जबकि स्वास्थ्य बीमा में यह घटकर 3.3% रह गई। यदि फसल बीमा को छोड़ दिया जाए, तो कुल GDPI में सालाना 9.3% की वृद्धि रही। मोटर बीमा खंड में ओडी और टीपी प्रीमियम में क्रमशः 4.7% और 8.1% की वृद्धि दर्ज की गई।

निष्कर्ष:
बीमा उद्योग में हालिया सुस्ती के बावजूद कुछ क्षेत्रों में आंशिक प्रगति और नीति परिवर्तनों के चलते बड़े बीमा कंपनियों को आगे लाभ मिल सकता है। वहीं, बाजार में हिस्सेदारी के लिहाज से सरकारी बीमा कंपनियों की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है।